Atmadharma magazine - Ank 335
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: २० : आत्मधर्म : भाद्रपद : २४९७
एवा ईन्द्रियज्ञाननी मोक्षमार्गमां कांई किंमत नथी. ए ईन्द्रियज्ञान तो क्षणिक विनाशी
छे. आत्मानी केवळज्ञान–विद्या पासे १४ पूर्वनुं ज्ञान पण अनंतमां भागनुं छे, तो
तारा बाह्य भणतरनी शी गणतरी? १४ पूर्वमां तो अगाधज्ञान छे, ते भावलिंगी
मुनिने ज थाय छे. धर्मीने शास्त्रभणतर वगेरे होय पण तेनी तेने मुख्यता नथी, तेने
तो ज्ञानचेतना वडे अंतरमां पोताना आत्माने अनुभववो तेनी ज मुख्यता छे. चैतन्य
स्वभावने ज्ञानचेतनामां लीधा वगरनुं बधुं भणतर तो थोथां जेवुं छे. धर्मीने कदाच
बीजुं जाणपणुं ओछुं होय पण अंदर ज्ञानचेतना वडे आखा भगवान आत्माने जाणी
लीधो–तेमां बधुंय आवी गयुं.
जराक जाणपणुं थाय त्यां तो, अमने बधुं आवडे छे ने बीजाने नथी आवडतुं–
एवी घमंडबुद्धिथी अज्ञानी बीजा धर्मात्मानो पण अनादर करी नांखे छे. केवळ
ज्ञानविद्यानो स्वामी आत्मा केवो छे एनी एने खबर नथी एटले ते ईन्द्रियज्ञानमां
राची रह्यो छे. केवळज्ञानस्वभावने जाणे तो ईन्द्रियज्ञाननुं अभिमान थाय नहीं.
ईन्द्रियज्ञान तो पराधीनज्ञान, तेनी होंश शी?
अहो, वीतरागी श्रुतनुं ज्ञान तो वीतरागतानुं कारण छे, ते मानादि कषायनुं
कारण केम थाय? माटे जैनधर्मना आवा दुर्लभ ज्ञानने पामीने आत्माने मानादि कषाय
भावोथी छोडाववो, ने ज्ञानना परम विनयपूर्वक संसारना अभावनो उद्यम करवो.–ए
रीते जे पोताना ज्ञानने मोक्षमार्गमां जोडे छे ते धर्मीने ज्ञानमद के विद्यामद होतो नथी.
अरे, मारो चैतन्यभगवान में मारामां देख्यो, तेनी पूर्ण परमात्मदशा पासे
बीजा कोनां अभिमान करुं? क्यां सर्वज्ञदशा? क्यां मुनिओनी वीतरागी चारित्रदशा?
ने क्यां मारी अल्पदशा? स्वभावथी पूरो परमात्मा होवा छतां ज्यां सुधी केवळज्ञान न
पामुं त्यां सुधी हुं नानो ज छुं;–आम द्रष्टिमां प्रभुता, ने पर्यायमां पामरता–बंनेनो
धर्मीने विवेक छे.
५. धनमद अथवा ऋद्धिनो मद : अंदरमां पोतानो चैतन्यवैभव जेणे देख्यो छे
एवा धर्मात्मा बहारना वैभवने पोतानो मानता ज नथी पछी तेनो मद केवो? दरिया
जेवो पूर्णानंद पोतामां ऊछळे छे एनुं भान थयुं त्यां बीजे बधेथी मद ऊडी गयो.
माता–पिता–धन–शरीर–पुत्र–राजपद–प्रधानपद ए तो बधा कर्मकृत छे, एनां
अभिमान शा? जे राग अने पुण्यथी पोताना चैतन्यमूर्ति आत्माने जुदो अनुभव्यो छे
ते रागनां ने पुण्यफळनां अभिमान शा? ए तो बधी कर्मसामग्री छे, तेमां कांई