Atmadharma magazine - Ank 337
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म कारतक: २४९८:
अहा, आनंदमय शांत चैतन्यधाम! तेमां विकल्पनो शोरबकोर केवो? शांतिना
दरियामां अशांति केवी? धर्मीने पर्यायेपर्याये पोतानो कारणपरमात्मा अभेद वर्ती रह्यो
छे; कारणपरमात्माने पोतामां अभेद राखीने ज धर्मीनुं परिणमन वर्ती रह्युं छे, एटले
तेणे पोताने रागथी जुदो करीने पोतानी शुद्ध–निर्विकल्प–आनंदमय–चैतन्यपरिणतिमां
स्थाप्यो छे. –आनुं नाम उत्तम योगभक्ति, अने आ ज मोक्ष मार्ग! ऋषभथी मांडीने
महावीर सुधीना तीर्थंकर भगवंतो आवी योगभक्ति वडे निर्वाणने पाम्या छे, माटे तुं
पण आवा उत्तम योगरूपी भक्ति कर.
अहा, ते भगवंतो सर्व आत्मप्रदेशे अत्यंत आनंदरूपी परम सुधारसना पानथी
परितृप्त थया. सम्यग्दर्शन थयुं त्यारे पण आत्मा सर्वप्रदेशे आनंदमय परम सुधारसना
पानथी तृप्त–तृप्त थयो छे; ने तेना फळमां मोक्षना सादिअनंत आनंदमय अनंत
चैतन्यरसमां आत्मा परितृप्त थयो. मोक्षनो मार्ग तो आनंदमय छे.
धर्मात्मा जाणे छे के अहा, मारो परम आनंदमय आत्मा ज्यां मारा अनुभवमां
बिराजे छे त्यां हवे केवळज्ञान अने मोक्षदशा पण मने नजीक ज वर्ते छे. अनंतकाळना
भवदुःखनो तो हवे अंत आवी गयो. सम्यग्दर्शन थतां राग वगरनी चैतन्य शांतिनुं
वेदन थयुं. शुद्ध द्रव्य–गुणनो स्वीकार थयो त्यां आत्मा शुद्ध पर्यायरूपे परिणम्यो, एटले
द्रव्य–गुण–पर्याय त्रणेयथी शुद्धपणे आत्मा परिणम्यो, रागना अंधारा दूर करीने
चैतन्यदीवडानो प्रकाश प्रगट्यो आ साची दीवाळी छे. दीवाळीमां आत्माए पोते
पोताने परम आनंदनी बोणी आपी.
आत्मानुं स्वरूप सर्वथा अंतर्मुख छे; तेने पोतानी अंदर पोतानी शुद्धआनंद
परिणतिनो ज सथवारो छे, बीजा कोईनो सथवारो तेने नथी; राग तो बहार रही जाय
छे. अहो, आ तो संतोना मार्गनुं अमृत छे. थोडुंक पण अमृत परम आनंदने आपे छे ने
अनंतकाळनुं दुःख मटाडे छे. धर्मात्माने ज्यां अंतर्मुख परिणाम थया त्यां तेनी परिणतिमां
हवे निर्मळता ज वहे छे, कारण परमात्माप्रभु तेनी दशामां बिराजे छे, तेमां हवे रागने के
भवने स्थान ज नथी. भाई! तारा आत्माने आवा स्वभाव तरफ उल्लसाव! अरे,
निजानंदथी भरपूर आवा पोताना तत्त्वने भूलीने बीजे क्यांय पण उल्लसाव करीने
रोकाई जाय–ते अंतर्मुख क्यांथी थाय? मुक्तिनो मार्ग त सर्वथा अंतर्मुख ज छे.
भाई, तारा मोक्षने माटे तारी शुद्धपरिणति ज तने अनुकूळ छे, ने रागादि
प्रतिकूळ छे. बीजुं कोई तने अनुकूळ के प्रतिकूळ नथी.