Atmadharma magazine - Ank 338
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ३४: आत्मधर्म २४९८: मागशर
समयसार – मंगलाचरण * (पृ. १६ थी चालु)
अहो सिद्धपद! तेना महिमानी शी वात! शुद्धात्मानी पूर्णदशा...ते तो जगतमां
सौथी आश्चर्यकारी छे...जेनो महिमा वचनथी के विकल्पथी पार पडे नहीं. संसारमां
एवी कोई वस्तु नथी के जेनी उपमाथी सिद्धपद बतावाय. सिद्धगति अनुपम
छे...अद्भुत एनो महिमा छे–जे साधकने स्वानुभवगम्य थाय छे. जे सिद्धगतिने
कोई रागनी–पुण्यनी उपमा पण नथी आपी शकाती, तो ते सिद्धगति रागथी के पुण्यथी
केम पमाय? ए तो स्वानुभूतिथी ज ओळखायने स्वानुभूतिवडे ज पमाय–एवी
अद्भुत अनुपम छे. संसारना बधा भावोथी एनी जात ज जुदी छे. अहो! आवा
सिद्धभगवंतो! मारा आत्मामां पधार्या छे.
मारामां शुद्धात्माना निर्विकल्प श्रद्धा–ज्ञान–शांतिरूप जे दशा थई छे ते तो
सिद्धप्रभुनी भावस्तुति छे; बहुमाननो विकल्प ते द्रव्यस्तुति छे. आवी भवस्तुति तथा
द्रव्यस्तुतिवडे आत्मामां सिद्धप्रभुने स्थाप्या–हवे सिद्धदशा थये ज छूटको. अत्यारे भले
साक्षात् सिद्धदशा न होय, पण निर्विकल्पअनुभूतिना बळे स्वभावनी सन्मुख थईने जे
भावश्रुतनी धारा ऊपडी ते हवे अप्रतिहतपणे वच्चे भंग पड्या वगर सिद्धपद लेवानी
ज छे.–आवी निःशंकता सहित, अपूर्व मंगलाचरण करीने समयसार शरू थाय छे.
आ समयसार शुद्धात्माने प्रकाशे छे, एटले तेना कथन–श्रवणथी मोहनो नाश
थाय छे. स्व–पर बंनेना एटले के वक्ता अने श्रोता बंनेना, मोहना नाशने माटे आ
समयसार कहेवाय छे. माटे हे श्रोता! तुं रागनुं के विकल्पनुं के शब्दोनुं लक्ष राखीने
सांभळीश नहीं, पण कहेवाना वाच्यरूप जे शुद्धात्मा छे तेमां ज लक्षने एकाग्र करजे;
तेमां लक्षने एकाग्र करतां ज तारा मोहनो नाश थई जशे. आ समयसारना कथन काळे
अमारुं घोलन अंदर शुद्धात्मामां छे तेना बळे अमारो अस्थिरतानो मोह पण छूटतो ज
जाय छे, ने तुं पण श्रवणना काळमां तारा ज्ञानमां शुद्धात्मानुं घोलन करजे–जेथी तारा
मोहनो पण जरूर नाश थशे, ने सम्यग्दर्शनादि विशुद्धता थशे. अंतरमां ज्ञानधाराना
घोलनथी परम आनंद पमाय छे ने मोह टळे छे. आ रीते भावस्तुति सहित
सांभळनारा श्रोताओने श्रीगुरु आ समयसार संभळावे छे.
अनादिअनंत श्रुतमां जे कह्युं. श्रुतकेवळीभगवंतोए स्वंय अनुधवीने जे कह्युं,
अने सर्वज्ञ केवळीभगवंतोए जे कह्युं.–ते ज भावो हुं मारा स्वानुभवपूर्वक आ
समयसारमां कहीश. आ रीते देव तरीके केवळीभगवाननी साक्षी, गुरु तरीके श्रुत