आम छतां सातमी गाथानां प्रवचनो आ अंकमां आवी शक्या नथी–ते हवेना अंकमां
आपीशुं. सं.
छाया छे. त्यां सिंह आवे छे.
आ द्रष्टांत उपरथी देह अने
आत्माना भेदज्ञाननी वात तमे
शुं समज्या? ते जणावो.
Atmadharma magazine - Ank 339
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).
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