Atmadharma magazine - Ank 340
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४९८ आत्मधर्म : ३३ :
अभेदस्वभाव एक ज अनुभवमां रह्यो ने पर्याय गौण थई गई एटले ते
अभूतार्थ थई गई. पर्याय छे ज नहि–माटे अभूतार्थ कीधी–एम नथी, पर्यायरूपे
पर्याय छे पण अभेदस्वभावना अनुभवमां तेनुं लक्ष रहेतुं नथी माटे ते पर्याय
अभूतार्थ छे.
आत्मवस्तु द्रव्यरूप तथा पर्यायरूप छे. आवी वस्तु ते प्रमाण छे. आवो
आत्मा, परथी तद्न भिन्न छे. हवे पोतामां द्रव्य अने पर्याय एवा बे अंश छे. तेमां
पर्याय ते व्यवहारनयनो विषय छे. शुद्धनयनो विषय भूतार्थ स्वभाव छे–तेमां पर्याय
गौण छे.
द्रव्यअंश, पर्याय अंश–एम बे अंशो छे, तेमां द्रव्य ते पर्याय नथी, पर्याय ते
द्रव्य नथी–एवुं जुदापणुं छे; पण वस्तुमां जुदापणुं नथी.
आत्मामां पर्याय छे ज नहि–एवो कांई निषेध नथी. पण अभेदनो अनुभव
कराववानुं प्रयोजन होवाथी, अभेदने मुख्य करीने तेने निश्चय कहीने तेनो आश्रय
कराव्यो; अने भेदने गौण करीने तेने व्यवहार कहीने तेनो निषेध कर्यो. केमके पर्यायना
भेदरूप विशेष उपर लक्ष रहेतां समभाव–निर्विकल्पदशा थती नथी, पण रागादि विकल्प
उत्पन्न थाय छे; ने अभेदरूप भूतार्थस्वभाव सामान्य छे तेना आश्रये समभाव एटले
निर्विकल्पदशा थाय छे. माटे अभेदरूप सामान्यना अनुभवमां पर्यायना भेदनो अभाव
ज कह्यो छे. त्यां पर्याय छे तो खरी, पर्याये ज अंतरमां वळीने सामान्यनो आश्रय कर्यो
छे, पण त्यां अभेदमां भेद गौण थई जाय छे, तेनुं लक्ष रहेतुं नथी.
सम्यग्दर्शनना अनुभवमां रागादि अशुद्धभावोरूप असद्भुत व्यवहार तो नथी;
ने ‘आ शुद्धपर्याय आ द्रव्यनी छे’–एवा भेदरूप सद्भुत व्यवहार पण सम्यग्दर्शनना
विषयमां रहेतो नथी. अभेदने अमेचक एटले शुद्ध कहे छे, ने भेदने मेचक एटले अशुद्ध
कहे छे. भले निर्मळपर्यायनो भेद हो, पण ते भेदनो विकल्प तो अशुद्ध छे, भेदना
आश्रये अशुद्धता थाय छे. भेदरूप पर्यायद्रष्टिमां राग–द्वेष अशुद्धतानो अनुभव थाय
छे; ने अभेदरूप सामान्यनो आश्रय लेतां वीतरागी समभाव थाय छे. तथा अभेदना
अनुभवमां पर्याय होवा छतां, तेनुं लक्ष नथी तेथी ते अभूतार्थ छे.
वस्तुमां सामान्य अने विशेष एवा बे अंश छे. तेमां विशेषअंश ते सामान्य
नथी, सामान्य अंश ते विशेष नथी; पण वस्तुमां एक साथे बंने अंश छे.
हवे एकला पर्यायअंशथी वस्तुने जोतां मिथ्यात्व थाय छे; अनादिथी जीवने
पर्यायबुद्धि तो छे. हवे सामान्य वस्तु तरफ झुकीने चालती पर्याये तेनो आश्रय लीधो