परिषहादिथी रक्षा करवा, बीजा मुनिराज–आचार्य वीतराग
उपदेशरूपी बख्तर पहेरावे छे तेनुं अद्भुत भावभीनुं वर्णन
भगवती आराधनाना ‘कवचअधिकार’ मां शिवकोटि–
आचार्यदेवे कर्युं छे. ते भावभीना प्रसंगनुं वर्णन वांचतां जाणे
आराधक मुनिवरोनो समूह नजर सामे ज बेठो होय, ने
मुनिराज आराधनाना उपदेशनी कोई अखंड धारा वहेवडावी
रह्या होय एवी उर्मिओ जागे छे, ने ए आराधक
साधुभगवंतो प्रत्ये हृदय नमी पडे छे; आराधना प्रत्ये अचिंत्य
बहुमान अने महिमा जागे छे. पू. कानजीस्वामी प्रवचनमां
अनेकवार परम भक्तिसहित आ कवचअधिकारनो उल्लेख
करीने मुनिवरोनी शांतअनुभूतिरूप अद्भुतदशानुं वर्णन करे
छे त्यारे मुमुक्षुओनां तो रामांच उल्लसी जाय छे, अने
आराधना प्रत्ये तेमज आराधक जीवो प्रत्ये परम
भक्तिसहित, आत्मामां पण आराधनानी शूरवीरता जागी
ऊठे छे. एवा कवचअधिकारमां १७४ गाथाओ छे, तेना सारनुं
संकलन अहीं आपवामां आव्युं छे. मुमुक्षु जीवो तेमांथी
आत्मिक–आराधनानी उत्तम प्रेरणा मेळवो, ने
मुनिभगवंतोनी परम भक्ति करो.