बहारनी बीजी वस्तुओ देखाय छे, ने तारो चिदानंद आत्मा ज तने नथी देखातो?
बधाने देखनारो तारो आत्मा ज तने नथी देखातो? अरे, आश्चर्यनी वात छे के पोते ज
पोताने नथी देखातो! भाई, अज्ञानथी तुं बहु दुःखी थयो, छतां तने तारी दया नथी
आवती? तने तारी खरी दया आवती होय, ने तारा आत्माने दुःखथी छोडाववो होय
तो पहेलांं तारा आत्माना अनुभवनुं काम कर. बीजा बधानो प्रेम छोडीने,
चैतन्यस्वरूप आत्मा पोते केवो छे तेने ओळखीने तारा आत्माने आ भवना भयंकर
दुःखोथी बचाव! भाई, भवदुःखथी आत्माने छोडाववानो आ अवसर छे. आत्मानुं
साचुं स्वरूप लक्षमां लेतां तारा स्वघरना चैतन्यखजाना खूली जशे; अहो! आवी मारी
चीज! आवो आनंदधाम हुं पोते! मारो आत्मा कोई अद्भुत छे!–ए ज मारे ठरवानुं
स्थान छे.–एम तने भान अने प्रतीत थतां तेमां ज तुं निःशंकपणे ठरीश. आ रीते तने
तारा साध्यरूप शुद्ध आत्मानी सिद्धि थशे.––आ मुक्तिनो उपाय छे. जे भगवंतोनी
अहीं स्थापना थाय छे ते भगवंतोए आवा (उपायथी आत्माने सेवीने मुक्ति प्राप्त
करी छे, ने जगतना आत्मार्थी जीवोने आवो ज मार्ग उपदेश्यो छे. हे आत्माना अर्थी
जीवो! तमे आवा मार्गने ओळखीने तेनुं सेवन करो...एटले रागादिथी पार
चैतन्यतत्त्व जेवुं छे तेवुं ओळखीने, श्रद्धामां लईने तेनो अनुभव करो...जेथी जन्म–
मरणथी छूटीने तमे आत्माना परम आनंदने पामशो.
हितनो उद्यम कर...केमके फरी फरी आवो अवसर मळवो
दुर्लभ छे. माटे दुनियानी झंझटमांथी नीकळी
जा...दुनियानुं जेम थवुं होय तेम थाय...तेनी उपेक्षा
करीने तुं तारुं हित करी ले. तारा हितनी रीत सन्तो तने
बतावे छे.