‘सांतर’ (अंतरसहित) कहेवाय छे.
(१) अपर्याप्त मनुष्यगति; (२) वैक्रियिकमिश्रकाययोग;
(३) आहारककाययोग;
(७) सासादन सम्यक्त्व; (८)
कोई पण जीव जगतमां होय ज नहि, तेथी ते आठ प्रकारो अंतरसहित छे.)
मार्गणामां जीवने शोधवानी रीत: (एक द्रष्टांत) जेमके गतिमार्गणा, तेमां––
नरकगतिमां केटला जीव छे? असंख्यात जीव छे.
नरकगतिना जीवोनुं क्षेत्र केटलुं छे? लोकना संख्यातमा भागनुं क्षेत्र छे.
नरकगतिना जीवोनो काळ केटलो छे? सामान्यपणे अनादिअनंत; विशेषपणे
सामान्य वर्णन करीने पाछा तेना पेटाभेदमां दरेक बोल लागु पाडवा–जेमके
पहेली नरकमां जीव छे? केटला जीव छे? केटलुं क्षेत्र छे? केटलो काळ छे? वगेरे.
घणा प्रकारथी विस्तारपूर्वक वर्णन सिद्धांतग्रंथोमां कर्युं छे; ते सर्वज्ञतानी प्रतीत
करावनारुं अने वीतरागता पोषक छे. कोईवार ए सिद्धांतग्रंथोमांथी महत्त्वना
विषयोनुं दोहन आत्मधर्ममां आपवानी भावना छे.