Atmadharma magazine - Ank 341
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९८ आत्मधर्म : २१ :
कहेवाय छे; अने जे मार्गणामां जीव क्यारेक होय, क्यारेक न पण होय–तेने
‘सांतर’ (अंतरसहित) कहेवाय छे.
सामान्यपणे तो बधी मार्गणा निरंतर छे; पण विशेषपणे जोतां
मार्गणाना पेटा प्रकारोमांथी नीचेना आठ प्रकारो सांतर छे––
(१) अपर्याप्त मनुष्यगति; (२) वैक्रियिकमिश्रकाययोग;
(३) आहारककाययोग;
(४) आहारकमिश्रकाययोग;
(प) सूक्ष्मसांपराय संयत; (६) उपशम सम्यक्त्व;
(७) सासादन सम्यक्त्व; (८)
सम्यक्मिथ्यात्व
(आ आठ मार्गणास्थानोमां जीवो क्यारेक होय छे, ने क्यारेक ते मार्गणवाळो
कोई पण जीव जगतमां होय ज नहि, तेथी ते आठ प्रकारो अंतरसहित छे.)
मार्गणामां जीवने शोधवानी रीत: (एक द्रष्टांत) जेमके गतिमार्गणा, तेमां––
नरकगतिमां जीव छे?...हा.
नरकगतिमां केटला जीव छे? असंख्यात जीव छे.
नरकगतिना जीवोनुं क्षेत्र केटलुं छे? लोकना संख्यातमा भागनुं क्षेत्र छे.
नरकगतिना जीवोनो काळ केटलो छे? सामान्यपणे अनादिअनंत; विशेषपणे
एक जीवनो काळ दश हजार वर्षथी मांडीने ३३ सागरोपम सुधी.
नरकगतिना जीवोने भाव क्या होय छे? औदयिकादि पांचे भावो संभवे छे. ए
रीते सत्, संख्या वगेरे आठ बोलथी दरेकनुं वर्णन थाय छे.
(ए ज रीते मनुष्यगति देवगति वगेरेमां पण ऊतरवानुं.) ए प्रमाणे
सामान्य वर्णन करीने पाछा तेना पेटाभेदमां दरेक बोल लागु पाडवा–जेमके
पहेली नरकमां जीव छे? केटला जीव छे? केटलुं क्षेत्र छे? केटलो काळ छे? वगेरे.
वळी मार्गणा साथे गुणस्थानोनुं पण वर्णन कर्युं छे: क्या गुणस्थाने कई
कई मार्गणा संभवे? तथा कई मार्गणामां कयाकया गुणस्थान संभवे? वगेरे
घणा प्रकारथी विस्तारपूर्वक वर्णन सिद्धांतग्रंथोमां कर्युं छे; ते सर्वज्ञतानी प्रतीत
करावनारुं अने वीतरागता पोषक छे. कोईवार ए सिद्धांतग्रंथोमांथी महत्त्वना
विषयोनुं दोहन आत्मधर्ममां आपवानी भावना छे.