Atmadharma magazine - Ank 341
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९८ आत्मधर्म : २७ :
अमरेली शहेरमां
जिनेन्द्र भगवानी प्रतिष्ठानो मंगल – महोत्सव

अमरेलीना अनेक मुमुक्षुओनी भावनाथी टावर सामे चोकमां श्री
जिनेन्द्रभगवाननुं रळियामणुं मंदिर बंधायुं अने फागण सुद एकमथी पांचम सुधी
शांतिनाथ भगवान वगेरे जिनभगवंतोनी प्रतिष्ठानो मंगलउत्सव, पू. गुरुदेवनी
मंगल छायामां आनंद–उल्लासपूर्वक उजवायो. महा वद १४ना रोज श्री शांतिनाथ,
पार्श्वनाथ अने नेमनाथ भगवंतो अमरेलीमां पधारतां भक्तिभीनुं स्वागत थयुं.
फागण सुद एकमनी सवारमां पू. गुरुदेव अमरेलीशहेरमां पधारतां
भक्तजनोए भावभीनुं स्वागत कर्युं. शांतिनाथ–मंडपमां जिनेन्द्र भगवानना दर्शन–
पूजन बाद मंगल–प्रवचनमां गुरुदेवे आनंदस्वरूप आत्मानुं स्मरण करतां कह्युं के–
जेने जेनी प्रीति होय ते वारंवार तेने याद करे छे. कोई मंगल उत्सवनो प्रसंग
होय त्यारे वहाला सगांओने खास याद करे छे; तेम अहीं भगवान पधारवाना मंगल–
उत्सवमां धर्मीजीव वहालामां वहाला एवा आनंदस्वरूप आत्माने याद करे छे.
आत्माने ओळखीने वारंवार तेनुं स्मरण करवुं ते मंगळ छे. धर्मीजीव कहे छे के हे
परमात्मा! मारा ज्ञानना आंगणे आप पधारो, आपनी पधरामणीथी अमारा आंगणा
उजळा थया. आ रीते भगवान जेवा पोताना आनंदस्वरूप आत्माने श्रद्धा–ज्ञानमां
बिराजमान करवो ते अपूर्व मंगळ छे.–आवा अपूर्व मंगळपूर्वक भगवाननी प्रतिष्ठानो
उत्सव शरू थाय छे.
फागण सुद बीज: आजे सोनगढमां सीमंधरनाथप्रभुनी प्रतिष्ठानो वर्षगांठनो
मंगल दिवस हतो; ने अमरेलीमां सीमंधरप्रभुनी मंगलछायामां जिनेन्द्रभगवाननी
प्रतिष्ठा विधिनो मंगल प्रारंभ थयो. सवारमां शशीभाई खाराए प्रतिष्ठा मंडमां श्री
सीमंधरभगवानने बिराजमान कर्यां; त्यारबाद मुकुन्दभाई खाराना सुहस्ते जैनधर्मनुं
झंडारोपण थयुं, अने श्री सविताबेन रसिकलाल तरफथी पंचपरमेष्ठी भगवाननुं
पूजनविधान थयुं. बपोरे पूजनविधाननी समाप्तिपूर्वक श्री जिनेन्द्रअभिषेक थयो.
फागण सुद त्रीजनी सवारमां नांदीविधान थयुं; आनंदप्रसंगना चिह्नरूप मंगल