केवो? चाल, बताव! ए क्यां रहे छे? एटले एनी खबर लउं!
साचो सिंह न हतो, पण मूरखो तेने ज बीजो साचो सिंह समजीने, क्रोधथी अंध थईने,
तेने मारवा कुवामां पड्यो––ने अंते कुवामां डुबी मर्यो.
मरण थाय नहि.
पर वांदरो बेठो हतो ने भूख्यो
सिंह आव्यो. सिंहने एम थयुं के
नीचे जे छाया हालती–चालती
देखाय छे ते ज वांदरो छे. एटले
तेणे तो ते पडछाया उपर पंजा
मारवा मांड्या! पंजा मारी–
मारीने थाक्यो, पण ते सिंहना
हाथमां तो कांई न आव्युं. जेम
विषयोमां झांवा मारी मारीने
थाके तोपण जीवने जराय सुख
मळतुं नथी तेम सिंहे घणां झांवा
मार्या पण तेना हाथमां कांई न
आव्युं. त्यारे झाड उपर बेठेला
वांदराए कह्युं के अरे, सिंहराज!
जेम अत्यारे तमे मूर्खाई करी
रह्या छो तेम पूर्वे तमारा दादाए
पण एवी मूर्खाई करीने प्राण
खोया हता, जेम तमे