भगवान महावीर
अहो वीरनाथ! आप अमारा परम देव छो. चैत्र सुद
तेरसे आ संसारचक्रनो छेल्लो अवतार पूरो करीने, चैतन्यनी
आराधना वडे आपे आत्माने तो उज्वळ कर्यो, ने चैत्र सुद
तेरसने पण ऊजळी करी. दर वर्षे चैत्र सुद तेरस आवे छे ने
आपनी चैतन्यआराधनाने जगत याद करे छे. आ वखते तो
वांकानेरमां चैत्र सुद तेरसे कोई अपूर्व भावे हे नाथ! आपनी
चैतन्यसाधनाने याद करीए छीए...ने आत्मामां जाणे आपनो
साक्षात्कार थाय छे.
अहो, वहाला वीरनाथ! केवो छे आपनो मार्ग!
आपनो मार्ग ए वीरनो मार्ग छे. महा आनंददायक ए
वीरमार्ग अमारा महान भाग्ये गुरुकहान आजे प्रकाशी रह्या
छे. ३७ वर्ष पहेलांं सोनगढमां सं. १९९१ चैत्र सुद तेरसे
कहानगुरुए आपना सत्यमार्गने प्रसिद्धिमां मुक्यो ने आज
साडत्रीस वर्षथी तेओश्री वीरमार्गना मधुरा वहेण भारतमां
वहावी रह्या छे. अहा! वीरमार्गना आ मधुरा वहेण अमारा
आत्माने पावन करे छे...
प्रभो! प्रियकारिणी–त्रिशलामैयानी कुंखे अवतरीने
आत्मसाधनावडे आपे आपना अवतारने सफळ कर्यो...ने
आपना मार्गने पामीने अमारो अवतार पण सफळ थयो.
केमके–
हे वीरनाथ! अमे पण आपनां ज संतान छीए, ने
आपना ज मार्गमां चाल्या आवीए छीए.
जय महावीर