Atmadharma magazine - Ank 342
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९८
शास्त्र–रागना विकल्पो ए बधायने बाद करतां, तेमना वगर पण आत्मा टकी
रहे छे, पण चैतन्य भाव वगर आत्मा टकी शके नहि; आ रीते बधुं बाद करतां छेवटे
चैतन्यभावपणे जे अनुभवाय छे ते ज हुं छुं,–आम अनुभव करवो ते आत्मप्राप्तिनी
रीत छे. आत्मा एवी वस्तु छे के चैतन्यपणे ज ते अनुभवमां आवे छे, बीजा
कोई भानथी अनुभववा मागे तो आत्मा अनुभवमां आवी शके नहीं.
भाई, आ तो मोक्षना दरवाजामां प्रवेशवानी वात छे. चैतन्यमहाराजाने
मळवानी वात छे. –हुं कोई नोकर के मागण नथी, पण चैतन्यराजा हुं पोते ज छुं–एम
राजा थईने पोते पोताने सेववानी आ वात छे. अरे, आत्मानो अनुभववा माटे
रागनी मदद मागवी ए ते कांई चैतन्यने शोभे छे? मारे कोईकनी मदद जोईए, मारे
राग जोईए–एम जे दीनता करे छे ते तो कायर छे, एवा कायर जीवो आत्मराजाने
भेटी शक्ता नथी, तेने अनुभवी शक्ता नथी. आ तो शूरवीरोनुं काम छे; वीतरागनो
मार्ग ए शूरवीरनो मार्ग छे.–मने मारा आत्मअनुभवमां परनो आश्रय छे ज नहीं,
विकल्पनो आश्रय मने नथी. स्वाधीनपणे मारी चेतनावडे ज हुं मारा आत्माने
अनुभवुं छुं.–आवा अनुभववडे मोक्षना द्वारमां प्रवेश थाय छे.
अनुभूति थतां भान थयुं के ‘आ चैतन्यस्वरूप आत्मा हुं छुं’ पर्यायमां ज्ञान–
राग आदि अनेक भावो मिश्र छे, पण तेमां विवेकबुद्धिवडे, एटले भेदज्ञाननी अत्यंत
सूक्ष्मता वडे बीजा बधा भावोने जुदा पाडीने जे आ एकला चैतन्यभावपणे परम
शांत तत्त्व अनुभवाय छे–ते ज हुं छुं–एम आत्मज्ञान थाय छे; आवा आत्मज्ञानमां
जेवो आत्मा जणायो ते ज हुं छुं एम निःशंक श्रद्धा थाय छे; आवा ज्ञान
अने श्रद्धापूर्वक आत्मामां ठरतां आत्मानी सिद्ध थाय छे.
मारा आत्मानो आवो अनुभव करवो ते कांई अशक्य नथी, ते शक््य छे–
थई शके तेवुं छे, ने ते ज मारे करवानुं काम छे.–आवा स्वीकारपूर्वक चैतन्यस्वरूप
आत्मानो अनुभव थई शके छे. धर्मीने एवो अनुभव थयो छे.–पहेलांं पण आत्मा तो
आवो अनुभूति स्वरूप ज हतो, कांई परभावरूप थयो न हतो, पण अज्ञानदशामां
पोताने रागादिभावरूपे ज मानीने तेने ज सेवतो हतो, रागथी भिन्न चैतन्यस्वरूप
आत्माने कदी एक क्षण पण सेव्यो न हतो. हवे परभावथी भिन्न चैतन्यस्वरूप
आत्मानुं भान कर्युं त्यारे अपूर्व ज्ञान–श्रद्धा–आचरण प्रगट्या, ने त्यारे तेणे
ज्ञानस्वरूप आत्मानी सेवा करी. एटले तेने साध्य आत्मानी सिद्धि थई, तेने मोक्षमार्ग
प्रगट्यो. ते जाणे