Atmadharma magazine - Ank 342a
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 15 of 49

background image
: १२ : “आत्मधर्म” : प्र. वैशाख २४९८ :
तो वीतरागी वीरनो मार्ग छे, शूरवीरनो मार्ग छे. शुभ विकल्प करतां–करतां मार्ग पमाई
जाय एवो आ मार्ग नथी. विकल्पना कर्तृत्वमां जेओ अटक्या छे तेओ तो कायर छे, एवा
कायर जीवो वीरना वीतरागमार्गने पामी शकता नथी.
आनंदने वेदनारो हुं छुं, विकल्पने वेदनारो हुं नथी–एम धर्मीने आत्मासाक्षात्कार थयो
छे, परमात्मानो साक्षात्कार पोतामां थई गयो छे. परमात्मतत्त्वना अनुभवमां चैतन्यरस रह्यो
ने विकल्पनो रस नीकळी गयो.–आनुं नाम भेदज्ञान. भेदज्ञानपर्यायसहितनो ए भगवान
पोते पवित्र पुराणपुरुष छे. तेने परमात्माना कहेण स्वीकार लीधा छे, परमात्माए जे कह्युं ते
तेणे पोतामां अनुभवी लीधुं छे, ने हवे अल्पकाळमां ते मोक्षलक्ष्मीने वरशे. मोक्षने लेतां तेनी
परिणति पाछी नहि फरे....वीरनाथना अप्रतिहतमार्गे ते मोक्षने वरशे
* * *
भगवान महावीरादि सर्वज्ञभगवाने आखा जगतनुं स्वरूप साक्षात् जोयुं, तेमां
बधा पदार्थोने द्रव्य–गुण–पर्यायस्वरूप जोया छे; वस्तु धु्रवपणे टकीने पोतानी पर्यायरूप
थाय छे, ते पर्यायनो कर्ता आत्मा पोते छे. आवुं वस्तुस्वरूप जाण्या वगर आत्मानो
अनुभव थाय नहीं. एकांत धु्रव के एकांत क्षणिकवस्तु माने तो तेने आत्मानो अनुभव
करवानो अवसर रहेतो नथी. तेमज ईश्वर आ आत्माने करे एम माननारने पण
‘पोतानो आत्मा ज परमात्मा छे’ एवी ओळखाणनो अवकाश रहेतो नथी. अहीं तो
आत्मानुं जेवुं स्वरूप छे तेवुं स्वरूप ज्ञानमां नक्की करीने तेनो जेणे अनुभव कर्यो छे ते
जीव केवो छे? तेनुं आ वर्णन छे. बहारनां काम तो दूर रहो, अंदरना एक स्रूक्ष्म
विकल्पनुं काम पण तेना ज्ञानमां नथी; ज्ञान अंदरमां वळीने विज्ञानरसरूप थई गयुं छे.
ज्ञानी थयो ते जाणे छे के पहेलांं अज्ञानदशामां हुं मारा ज्ञान–आनंदना
स्वभावथी भ्रष्ट थईने, विकल्पना वनमां भमतो हतो; हवे ते विकल्पोथी दूर थईने,
भेदज्ञानरूपी अंतर्मुखी मार्गद्वारा हुं मारा चैतन्यरसना समुद्रमां वळ्‌यो छुं; मारी ज्ञाननी
धारा ज्ञानरसरूपे ज परिणमे छे. मारा ज्ञानरसना महाप्रवाहमां विकल्पोनो एक अंश
पण नथी. आम ज्ञान अने विकल्पोने एक अंश पण नथी. आम ज्ञान अने विकल्प वच्चे
कर्ता–कर्मपणुं छूटी गयुं छे. हवे ज्ञान पोताना रसमां ज मग्न रहेतुं थकुं विकल्पोना
मार्गथी ते दूरथी ज पाछुं वळी