Atmadharma magazine - Ank 342a
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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गुरुदेवना उपकार [संपादकीय]

वैशाख सुद बीज आवी रही छे...ने गुरुकहानजन्मनी मंगल
वधाई लावी रही छे. ७०मी जन्मजयंति फत्तेपुरमां उजवाई हती, आजे
१३ वर्ष बाद फरीने ८३मी जन्मजयंतिनो महोत्सव उजववानुं सौभाग्य
फत्तेपुरने मळे छे. जन्मोत्सव उपरांत जिनेन्द्र भगवाननी पंचकल्याणक
प्रतिष्ठानो महोत्सव, तेमज जैनधर्मनी प्रभावनाने लगता अनेक
कार्यक्रमो पण फत्तेपुरमां ता. २ थी १६ मे सुधीमां थशे. भारतना हजारो
भक्तो आ आनंदउत्सवमां भाग लेशे.
अहा, देव–गुरु–धर्मना आवा मंगल महोत्सव अने आत्महितनो
मार्ग जेमना प्रतापे प्राप्त थया छे ते गुरुदेवना उपकारनी शी वात!
गंभीर वीतरागी चैतन्यतत्त्व जेओ अत्यंत अनुग्रहथी सदाय देखाडी
रह्या छे. ते गुरुनी साची सेवा ने आ ज्ञानी उपासना तो चैतन्यतत्त्वने
लक्षगत करीने ज थई शके. अने पछी, एवा लक्षपूर्वक जे उत्सव थाय
ते, मात्र जन्मनो उत्सव नहि पण ‘चैतन्यनी आराधनानो अपूर्व
उत्सव’ होय–एवा भावथी उजवाय छे.–आपणे पण वैशाख सुद बीजे
एवो ज मंगल उत्सव उजवीशुं.