: प्र. वैशाख : २४९८ “आत्मधर्म” : ३३ :
[नाईरोबी–आफ्रिका मुमुक्षुमंडळ तरफथी आवेल पत्र अहीं आपवामां आवे छे]
[नाईरोबी ता. १०–३–७२]
परम आदरणीय, सद्धर्मप्रचारक, आत्मार्थी आध्यात्मिक संत अने
परमात्माना प्रतिनिधि पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीने
आफ्रिका पधारवानी विनंती
माननीय प्रमुख महाशय,
श्री दिगंबर जैनस्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ.
सूज्ञ महाशय,
जयजिनेन्द्रनी अंतरतल घोषणा साथे लखवानी रजा लईए छीए के अहींना मुमुक्षु
मंडळनी स्थापना आजथी २२ वर्ष पहेलांं थई हती अने पूज्य गुरुदेवना प्रतापे मंडळनी प्रवृत्ति
नियमित रीते चाली रही छे.
पूज्य गुरुदेव जगतने आत्मानुं परम सत्य स्वरूप बतावी रह्यो छे, समजावी रह्या छे
अने एना प्रतापे हजारो लाखो मुमुक्षु जीवो जाग्या छे, अने पोतानुं आत्महित केम थाय तेने
साधवा माटे प्रयत्नशील थई रह्या छे. ए रीते पूज्य गुरुदेवनो पवित्र उपकार वर्ती रह्यो छे.
आ मंडळना प्रारंभथी ज पूज्य गुरुदेवनां मंगळ प्रवचनोनुं वांचन तेमज तेमना
टेपरेकोर्डिंग व्याख्यानो अने तेमना ज साहित्यनुं वांचन नियमित रीते यथाशक्ति अहींना मुमुक्षु
भाईओ तथा बहेनो दरेक होंशथी करी रह्या छे.
पू. गुरुदेवे जगतना जीवोना कल्याणअर्थे आध्यात्मिक धोध वहेवडाव्यो छे. अने
भारतना हजारो भव्य जीवो आ आध्यात्मिक वाणीथी वीतरागमार्ग प्रति वळी रह्या छे,
आजना जैनोनुं आ एक अहो भाग्य छे. आ ज रीते पू. गुरुदेवश्रीनी अमीभरी वीतरागी
वाणी सुणवानी घणा लांबा समयथी अहींना जैनसमाजे जिज्ञासा सेवेली छे, अने अमारुं
अंतःकरण तेओश्रीनी भवनाशक वीतरागी वाणी साक्षात् सांभळवा झंखी रह्युं छे.
अमने ऊंडे ऊंडे चोक्कस श्रद्धा अने आशा छे के अमारा सद्भाग्ये गुरुदेवनी
पधरामणीनो पुण्यप्रसंग आफ्रिकामां थशे, अने तेओश्रीना पुण्यप्रतापे आत्मधर्मनी खूब
प्रभावना थशे, अने खरेखर त्यारे ज अमारा मनना मनोरथ सफळ थया गणाशे.