दर्शन बाद मंगलाचरणमां गुरुदेवे प्रथम समयसारनी पहेली गाथा द्वारा अनंत सिद्ध
भगवंतोने याद करीने आत्मामां स्थाप्या. अहो, आवुं शुद्धस्वरूप ज्ञानमां लेवुं ते
अपूर्व मंगळ छे. पछी बीजी गाथा द्धारा स्वसमयनुं स्वरूप बताव्युं. पोतानी
सम्यक्त्वादि निर्मळ पर्यायमां स्थित जीव, एटले के ते पर्यायरूपे परिणमेलो जीव
स्वसमय छे, ने स्वसमयपणुं ते मंगळ छे. ए सिवाय रागादिभावोने पोतानुं स्वरूप
मानीने तेमां जे स्थित छे ते परसमय छे.