Atmadharma magazine - Ank 343
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: द्वि. वैशाख: २४९८ आत्मधर्म : ४९ :
केटलुं सरस काम करी शके छे ने हजारो जीवोमां केवो धर्म–प्रचार करी शके छे–ते आ
प्रदर्शन जोतां लक्षमां आवतुं हतुं. बाळकोए जाते पोतानी हाथ कारीगरीथी सुंदर
मानस्तंभ, काचनुं जिनमंदिर, कुंदकुंदस्वामी वगेरेनां दश्यो कर्यां हता. बाळकोने
तत्त्वज्ञान मळे एवी बीजी अनेक रचनाओ हती. बालबंधुओ! आवी धार्मिक शोभाना
कार्योमां तमे वधु ने वधु रस ल्यो ते जैनशासनने माटे गौरवनी वात छे.
हवे उत्सवना विवेचनमां आगळ वधता पहेलांं, ज्यां आ महान उत्सव
उजवाई रह्यो छे तेनुं थोडुं अवलोकन करी लईए. प्रथम तो फत्तेपुर एक नानुं
दोढहजारनी वस्तीनुं गाम छे, ज्यां जैनोना घर ४० जेटला छे; ज्यां रेल्वेस्टेशन नथी,
तार ओफिस नथी, बसनी सगवड पण मांड मळी शके छे. आवा नाना गाममां घणो
मोटो उत्सव थयो ते समस्त फत्तेपुर जैनसमाज तथा गुजरातना मुमुक्षुओनो उल्लास–
एकरागता अने विद्धान भाईश्री बाबुभाईनी दोरवणीने लीधे थयो छे. गुरुदेवनो
महानप्रभाव सौराष्ट्र करतांय आजे गुजरातमां जाणे वधु फेलाई रह्यो छे. गुरुदेवनो
महानप्रभाव सौराष्ट्र करतांय आजे गुजरातमां जाणे वधु फेलाई रह्यो छे. फत्तेपुरनुं
प्राचीनमंदिर नानुं हतुं तेनो जीर्णोद्धार करीने सुंदर शिखरबंधी मंदिर तैयार थयुं छे.
बाजुमां मोटुं स्वाध्यायमंदिर छे. उपरना भागमां जिनमंदिरमां पांचफूट ऊंची
शांतिनाथभगवाननी सुंदर प्रतिमानुं स्थापन थयुं छे. (नीचे शीतलनाथभगवान
मूळनायकपणे बिराजता हता–ते एमने एम बिजराजमान राखेल छे.) उपर विशाळ
होलमां आरसनी कारीगरीमां समवसरणनी सुंदर रचना छे; जेमां सीमंधर भगवान
जीवंतस्वामी बिराजमान छे. सौराष्ट्रमां सोनगढ अने राजकोट पछी, गुजरातमां
समवसरणनी आ पहेली ज रचना छे. आवा मंदिरोनीप्रतिष्ठाना पंचकल्याणक
महोत्सव माटे नजीकना एक खेतरने “वीतराग विज्ञाननगर” बनावी देवामां आव्युं
हतुं; तेमां प्रतिष्ठामंडप अनेकविध शणगारोथी शोभतो हतो; रात्रे प्रकाशना फूवाराना
झगमगाट वच्चे ते विशेष शोभी ऊठतो.
वीतरागविज्ञानगरना भव्य प्रवेशद्धारमांथी प्रतिष्ठामंडपमां दाखल थतां ज
सामे ऊंचो धर्मध्वज देखीने मस्तक नमी पडतुं..... वाह! कहानगुरुना प्रतापे आजे
जैनधर्मनो ध्वज ऊंचाऊंचा आकाशमां केवा आनंदथी लहेराई रह्यो छे! मंडपनी बहार
एकबाजु व्यवस्था माटेनी ओफिसो धमधोकार काम करती हती; सामी बाजु पुस्तक
विभाग, बाळकोनुं प्रदर्शन अने त्रण भाववाही रचनाओ हती; मुंबईना प्रीतमभाई
कारीगरे तैयार करेल आ हालती चालती रचना जोवा माटे दर्शकोनी भीड ऊभराती.
पहेलां दश्यमां–श्रीकुंदकुंदचार्यदेव आकाशमार्गे सीमंधरभगवानना समवसरणमां जई