Atmadharma magazine - Ank 343
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 53 of 64

background image
: द्वि. वैशाख: २४९८ आत्मधर्म : ५१ :
ईंद्रप्रतिष्ठा तथा आचार्यअनुज्ञा वगेरे विधि थई. १६ ईद्रं–ईंद्राणीमां प्रथम सौधर्मेन्द्र
थवानुं भाग्य फत्तेपुरना भाईश्री जसवंतलाल छोटालाल भाईचंदने मळ्‌युं हतुं. बीजा
ईशानेन्द्र थवानुं भाग्य फत्तेपुरना भाईश्री भाईचंद उगरचंदने मळ्‌युं हतुं. नेमिनाथ
प्रभुना पंचकल्याणकनी विधिमां श्री समुद्रविजयजी पिता तथा शिवादेवी माता थवानुं
सौभाग्य फत्तेपुरना उत्साही आगेवान भाईश्री बाबुभाई चुनीलाल महेता तथा सौ.
ताराबेनने मळ्‌युं हतु. प्रवचन बाद भव्य जुलुसरूपे ईंद्र–ईंद्राणीओ वगेरे ठाठमाठथी
श्री जिनेन्द्र भगवाननुं पूजन करवा आव्या हता. बपोरे श्री समवसरण मंडलविधान
पूजा पूर्ण थईने जिनेन्द्र अभिषेक थयो हतो. सांजे मृत्तिकानमय तथा अंकुरारोपण
विधि थई हती. रात्रे राजुलना वैराग्यनो अभिनय थयो हतो.
दोढ हजारनी वस्तीना नाना गाममां बहारथी सात आठ हजार माणसो
आव्या, तेमने माटे शीतलनगर अने सीमंधरनगरमां सेंकडो तंबु ऊभा करवामां
आव्या हता; पण घणा माणसो धोमधखता बपोरे झाडनी खुल्ली मीठडी छायामां ज
रहेवानुं पसंद करता हता. केटलाय झाडनी छायामां सेंकडो माणसो आनंदथी धर्म
चर्चावार्तामां मशगुल होय–ए दश्य मुनिओना वनविहारनी स्मृति आपता हता.......
एक साथे छ सात हजार माणसोनी जमवानी व्यवस्था पण सुंदर हती; आवडी मोटी
पंगत अडधी कलाकमां तो जमी लेती. उत्सव माटे अनेक प्रकारना साज–शणगार ठेठ
अजमेर अने आग्राथी आव्या हता.
वद १२ नी सवारे प्रवचन पछी यागमंडल–महापूजा द्धारा ईन्द्रोए पंच परमेष्ठी
भगवंतो वगेरेनुं पूजन कर्युं. दररोज सवारमां जिनेन्द्रभगवान सन्मुख हजारो
भक्तजनो आनंदथी विविध प्रकारे पूजन करता होय–भक्तिभजन करता होय–चिंतन–
मनन–वांचन करता होय–ए दश्यो शासननो महिमा अने साधर्मीनो प्रेम जगाडता
हता. जिनेन्द्रभगवाननी ने ज्ञानीगुरुदओनी मंगलछायामां देशोदेशना साधर्मीओ
आनंदथी एकबीजाने मळी रह्या हता ने परस्पर धर्मभावनानी पुष्टि करता हता. ते
देखीने एम थतुं के ‘वाह! धन्य धर्मकाळ! आवा धर्मकाळमां चैतन्यनी आराधना प्राप्त
थई ते जीवननी कृतकृत्यता छे. ’
सांजे जलयात्रा नीकळी हती. जलयात्राना १०८ कळश, हाथी, रथ, वगेरेनी
ऊछामणी माटे लोकोनो एटलो उत्साह हतो के थोडी मिनिटोमां ज बधी ऊछामणी पूरी
थई ने वधु कळशोनी मांगणी पण चालु रहेती. गामेगामना सेंकडो उत्साही कार्यकरो–
विद्धानो हांशेहोंशे महान उत्सवना कार्यमां साथ आपी रह्या हता.