Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
विचारो रजुं कर्यां हता. आ काळे जीवन थोडुं ने शक्ति थोडी, तेमां साची विधावडे
आत्महित साधी लेवा जेवुं छे. आवी विधाना उपासकोनुं आ विद्धत्–संमेलन छे. पण
कोई अमुक भणतरनी डीग्री धरावे ते ज विद्धान–एवुं आ संमेलन नथी. बीजे तो
सामान्यपणे अत्यारे जेटला विद्धान् एटला मत–एवी परिस्थिति छे ने विद्धानोमां
खेंचाताणी चाले छे, आपणे तो अहीं गुरुदेवनी छायामां वीतरागी विधाना जिज्ञासु
सेंकडो विद्धानो भेगा थाय छे ने बधा विद्धानो एकमत छे..... के अमे तो तत्त्वना
जिज्ञासु अने ज्ञानना प्यासी छीए.... जैनशासननी सेवा माटे बंधु समर्पी देवा अमे
तैयार छीए. आवा द्रष्टिकोणनुं आ विद्धत् संमेलन छे. विद्धानोनी बे पार्टीमांथी कोई
पार्टीना पोषण माटे आ संमेलन नथी; पण पार्टी–मतभेद मटाडीने, वीतरागविधामां
एकता माटेनुं आ संमेलन छे. आवा विचारो विद्धत् संमेलनमां विद्धानोए व्यक्त कर्यां
हता. ते उपरांत ‘आत्मधर्म’ द्धारा जे प्रभावना थई रही छे तेनी प्रशंसापूर्वक तेना
वधु ने वधु प्रचारनी भावना भावी हती.
वैशाख सुद बीज: ८३ मी जन्मजयंति

जेमना प्रतापे भेदज्ञानरूपी मंगल बीज ऊगी छे एवा मंगलमूर्ति गुरुदेवनो
आज ८३ मो जन्मोत्सव ऊजवाई रह्या छे, त्यारे सर्वप्रथम ‘अष्ट’ महागुणना कारणरूप
त्रण रत्नना उपासक गुरुदेवने नमस्कार करुं छुं.
धन्य बन्युं आ फत्तेपुर, के ज्यां कहानगुरुनो ८३ मो जन्मोत्सव आनंदथी उजववा
भारतना दश हजारथी वधु मुमुक्षुजनो उभराई रह्या छे. सवारमां चार वागतां पहेलांं तो
आनंदवधाई माटे सौ तैयार थई या छे. हजारो बत्तीना चित्रविचित्र झगमगाटथी
वीतरागविज्ञानगर अने फतेपुर शहेर अद्भूत शोभी रह्युं छे. दरवाजे बे हाथी
महापुरुषने सत्कारवा आतुर थईनेऊभा छे. हजारो भक्तो जैनधर्मना जयजयकार करता
ने मंगल वधाई गातां गातां प्रभातफेरीफेरीरूपे आवी रह्या छे. गुरुदेव वहेली सवारमां
प्रतिष्ठामंडपमां पधार्या ने भक्तिचित्ते जिनेन्द्र भगवंतोना दर्शन कर्यां. त्यारबाद जेमना
प्रतापे आपणने साचो जैनधर्म अने मोक्षमार्ग प्राप्त थयो छे एवा