Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
अब तक हमारा मिथ्यात्व नहीं मिटा, परंतु मुझे विश्वास है कि एक दिन हमारा
भी मिथ्यात्व मिट जायगा. आपकी वाणीसे, आपके दर्शनसे, आपके विचारोसे, और
आपकी उपस्थितिसे मेरा और संसारका मिथ्यात्व कम होगा और हमें सम्यग्दर्शन
होगा ईसलिये मेरी प्रार्थना है कि आप शतशत वर्षतक जीवो. मेरी और समाजकी
औरसे मैं आज जन्मजयंतिके उपलक्षमें आपको श्रद्धांजलि अर्पण करता हूां आपने जो
रस्ता बताया वह उत्तम है, परंतु सोचनेकी बात यह है कि हमारे बच्चोंको किस प्रकार
ईस रास्ते पर लाया जाय.
मैं अपनेको बहुत भाग्यशाळी समझता हूं कि, जब आप यह उपदेश के रहे हो
उसी कालमें और ईसी देशमें मेरा जन्म हुआ. और मुझे यह सन्नेका अवसर बारबार
मिल रहा हौ आपके प्रवचन ध्यानसे सुनता हूं, उसमें और आत्माकी भिन्नता तो
समझता हूं किन्तु उसमें जैसा आनंद आपको आता है, जैसा अनुभव आपको होता है
वैसा आनंद मुझे नहीं हो पाता! फिर भी मैं जीवन ऐसा ही बनाना चाहता हूं–उसके
लिये आपके आर्शीवादके सिवाय और कोई रास्ता नहीं दिखाता. अत: आप आर्शीवाद
दीजिये–एम कहीने गुरुदेवना चरणोमां नमस्कार करीने शाहुजीए पोतानुं प्रवचन पूरुं
कर्युं. ने गुरुदेवे तेमने आर्शीवाद आप्या.
शाहुजीनुं भावभीनुं प्रवचन सांभळीने दशबार हजार सभाजनो घणा प्रसन्न
थया हता. प्रवचन बाद शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहुए गुरुदेवनी ८३ मी जन्मजयंतिना
हर्षोपलक्षमां पोताना तरफथी ८३ नी एकसो रकम (कुल रूा. ८३०० अर्पण कर्यां हता.
त्यारबाद महासभाना मंत्री श्री परसादीलालजी पाटनी (दील्ही) ए श्रद्धा
जलिमां कह्युं के स्वामीजी आत्मानुं एवुं स्वरूप समजावे छे के अत्यारे दुनियामां शोधतां
आत्मानुं आवुं स्वरूप समजावनारा बीजुं कोई जडतुं नथी.
सुरतना ‘जैनमित्र’ ना संपादक श्री मूलचंद किसनदास कापडियाजीए ९०
वर्षनी वयोवृद्ध उमरे पोतानी जुस्सादार शैलीमां, पू. कानजीस्वामी द्धारा थई रहेली
अजब–गजबनी प्रभावनानुं वर्णन कर्युं, अने कह्युं के जैनोंके राजा शाहुजीने जो था, वे
भी कानजीस्वामीको अभिनंद करते थे और आज जैनोंके यह राजा शाहुजीने भी
स्वामीजीका सन्मान किया है