आपकी उपस्थितिसे मेरा और संसारका मिथ्यात्व कम होगा और हमें सम्यग्दर्शन
होगा ईसलिये मेरी प्रार्थना है कि आप शतशत वर्षतक जीवो. मेरी और समाजकी
औरसे मैं आज जन्मजयंतिके उपलक्षमें आपको श्रद्धांजलि अर्पण करता हूां आपने जो
रस्ता बताया वह उत्तम है, परंतु सोचनेकी बात यह है कि हमारे बच्चोंको किस प्रकार
ईस रास्ते पर लाया जाय.
मिल रहा हौ आपके प्रवचन ध्यानसे सुनता हूं, उसमें और आत्माकी भिन्नता तो
समझता हूं किन्तु उसमें जैसा आनंद आपको आता है, जैसा अनुभव आपको होता है
वैसा आनंद मुझे नहीं हो पाता! फिर भी मैं जीवन ऐसा ही बनाना चाहता हूं–उसके
लिये आपके आर्शीवादके सिवाय और कोई रास्ता नहीं दिखाता. अत: आप आर्शीवाद
दीजिये–एम कहीने गुरुदेवना चरणोमां नमस्कार करीने शाहुजीए पोतानुं प्रवचन पूरुं
कर्युं. ने गुरुदेवे तेमने आर्शीवाद आप्या.
हर्षोपलक्षमां पोताना तरफथी ८३ नी एकसो रकम (कुल रूा. ८३०० अर्पण कर्यां हता.
आत्मानुं आवुं स्वरूप समजावनारा बीजुं कोई जडतुं नथी.
अजब–गजबनी प्रभावनानुं वर्णन कर्युं, अने कह्युं के जैनोंके राजा शाहुजीने जो था, वे
भी कानजीस्वामीको अभिनंद करते थे और आज जैनोंके यह राजा शाहुजीने भी
स्वामीजीका सन्मान किया है