Atmadharma magazine - Ank 345
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: अषाढ: २४९८ आत्मधर्म :१७:
करे छे आ ध्यान स्त्रीओने प्राप्त नथी शकतुं, तेमज गृहस्थोने पण प्राप्त नथी थई शकतुं. देवी!
शास्त्रोमां कह्युं छे के स्त्रीओने अने गृहस्थोने शुक्लध्याननी प्राप्ति नथी थई शकती, परंतु तेओ
अज्ञानी लोकोने भडकावे छे के तेमने धर्मध्यान पण नथी थई शकतुं. व्यवहारधर्मने तो तेओ
माने छे, परंतु निश्चयधर्मने स्वीकारता नथी. देवी! तेमने कोई ध्यानशास्त्रनो उपदेश देवा जाय
तो कंईक प्रकारनां बहाना बतावे छे अने कहे छे के आत्मयोग धारण करवा माटे घणां शास्त्रोनुं
अध्ययन करवानी जरूर छे अने निर्गं्रथ दीक्षानी पण जरूर छे–ए बाबतो अमारामां नथी तेथी
अमे आ आत्मयोगनुं धारण करी शकता नथी. परंतु देवी! आश्चर्य छे के तेओ बहु शास्त्रो
भणीने निर्ग्रंथ दीक्षाथी दीक्षित थवा छतां पण संसारमां भटके छे.
देवी! आत्मध्यान जो पोताथी थई शके तो अवश्य करवुं जोईए, जो एटली शक्ति न
होय तो ध्यानतत्त्व पर श्रद्धान तो अवश्य करवुं जोईए. केवळ पोताथी न बने तो ध्याननी
निंदा करवी ते भव्योनुं कार्य नथी, पण अभव्योनुं ते कार्य छे; तेथी तमे आनी उपर द्रढ श्रद्धान
करो. हमणां तमोने ध्यान न प्रगटे तोपण कोई पण जातनी हानि नथी. संतोषपूर्वक
भेदभक्तिनो अभ्यास करता रहो, तेथी आगळ जतां तमोने मुक्ति प्राप्त थशे. भगवत् पूजा,
मुनिदान, धर्मीसत्कार, जीवदया आदि सत्क्रियाओनुं अनुष्ठान करो अने आत्मकलापर श्रद्धान
करो. तमोने अवश्य आगळ मोक्षनी प्राप्ति थशे. देवी! जे वखते सूतककाळ अथवा मासिकधर्म
सद्रश अशुभ समय होय ते वखते उपर्युक्त शुभ क्रियाओनुं आचरण करवुं उचित नथी. ते
वखते अशुचित्वानुंप्रेक्षानी भावना पूर्वक मौन रहेवुं जोईए.
आ प्रकारे तमो उपर्युक्त कथानुसार आचरण करशो तो तमारा लोकोनो आ स्त्रीवष दूर
थई जशे अने स्वर्ग पामीने अवश्य मुक्ति पण प्राप्त करशो. खरेखर आ सिद्धांत छे, तेथी
अवश्य श्रद्धा करो.
आ प्रकारे सम्राट भरतनो उपदेश सांभळीने ज्योतिर्माला आदि बधी राणीओ अत्यंत
प्रसन्न थई. एटलुं ज नहि, तेमने साक्षात् मुक्ति मळी होय ए प्रकारे हर्ष थयो. तेओ बधी
आनंदपूर्वक कहेवा लागी के स्वामी! आपनी कृपाथी आजे अमने एवा सम्यक्त्वनी प्राप्ति थई
छे के जे कोई पण जन्ममां प्राप्त थयुं नहोतुं. हवे अमने मुक्ति प्राप्त थवामां शी मोटी वात छे?
स्वामी! आपना संगथी अमे कृतकृत्य थई गया. एम कहीने बधी राणीओए भरतेश्वरना
चरणमां साष्टांग नमस्कार कर्या.