Atmadharma magazine - Ank 345
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: अषाढ: २४९८ आत्मधर्म :३७:
आत्मधर्मना पाठको माटेनी एक सुंदर योजना–
“श्रावण” मासनी खुशालीमां आत्मधर्मना तत्त्वरसिक पाठको माटे एक लाभदायी
उपरना विषय उपर सुंदर लेख लखी मोकलवा सौने निमंत्रण छे. दरेक जिज्ञासु विचारको
आमां भाग ल्ये एवी ईच्छा छे. श्रेष्ठ निबंध लखनाराओ माटे उपरोकत मुमुक्षु भाई तरफथी
रूा. १०१) ईनाम तरीके वहेंचाशे. बीजा बधाने पण एक पुस्तक भेट अपाशे. आवेला लेखोनो
सार आत्मधर्ममां छपाशे. निबंध के लेख श्रावण वद बीज सुधीमां मोकली देवा. लेखोनी
पसंदगी संपादक करशे. लेख गुजराती अथवा हिंदीमां आशरे पांचथी दश पानांनो लखवो.
सरनामुं–
संपादक आत्मधर्म. सोनगढ (सौराष्ट्र)
आत्मधर्म
गुरुदेवे बतावेला चैतन्यसन्मुखी वीतरागसुखमार्गने आत्मधर्मद्धारा आप जे
छेल्ला एक वर्षथी एटले के गत श्रावणमासथी आत्मधर्मना संपादनमां अपूर्व फेरफारो
शरू थया छे...हंमेशां अनेक मुमुक्षुओ आत्मधर्म वांचीने प्रसन्नता व्यक्त करे छे. अने प्रवास
दरमियान तो गामेगाम नवानवा जिज्ञासुओने देखीने–मळीने प्रसन्नता थाय छे. आप पण
आत्मधर्मना वांचन–विचार ने प्रचारमां उत्साहथी भाग ल्यो. आजे आत्मधर्मनी संख्या २९
वर्षोमां सौथी वधु छे ने हजी वधती ज जाय छे. ते त्रण हजारनी संख्या आ वर्षमां ज वटावी
जशे. आप सौना सहकारथी झडपथी आपणे ते संख्या पांचहजार सुधी लई जवी छे. श्रावण
मासथी ग्राहक थवा माटे, आवता वर्ष सहित कुल सवा वर्षना पांचरूपिया मोकलवा.
आत्मधर्म कार्यालय, सोनगढ
(सौराष्ट्र)