Atmadharma magazine - Ank 346
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९८ : आत्मधर्म : ९ :
धर्मात्मानी ज्ञानदशामां सहज परमआनंदरूपी अमृतनुं पूर आव्युं छे, आखो
ते धर्मात्माने आत्मानी समीपता एक क्षण छूटती नथी, ने विकल्पो साथे एकता
एक क्षण पण थती नथी. जे आत्माभिमुखी भाव छे ते तो राग वगरनो ज