भगवानना नंदन छे, तीर्थंकरना पुत्र छे.
बेन:– भाई, अत्यारे आपणने अहीं
भगवान तो नथी देखाता, पण
भगवानना पुत्र देखाय छे.....
तीर्थंकरभगवानना लघुनंदन आपणने
अहीं नजरे देखाय छे–ए आपणुं
महान भाग्य छे.
भाई:– वाह बेन! तारी वात साची! पण तेनी
सफळता त्यारे कहेवाय के, आपणे
तेमनी जेम भगवानना पुत्र थईए.
बेन:– भगवानना नंदन केवी रीते थवाय?
भाई:– सांभळ! गुरुदेव आपणने रोज
समजावे छे के आत्माने ओळखो.
आत्माने ओळखीए एटले आपणे
पण भगवानना पुत्र कहेवाईए.
अरिहंतने ओळखे ते अरिहंतनो
पुत्र कहेवाय!
बेन:– हा भाई! आपणी आ बाळपोथीमां
पण
भाई:– चालो, आपणे ते गीत गाईए–
अमारे भणवा जैनसिद्धांत,
भणवुं–गणवुं अमने वहालुं
गुरुजी पर छे वहाल...अमे तो
क र शुं अा त् मा नुं ज्ञा न ;
उपकार ए गुरुजी तणो छे
संतान कहेवाया! तो आपणे आत्माने
ओळखवा रोज तत्त्वज्ञाननो अभ्यास
करवो जोईए. अने रोज भगवाननां
दर्शन करवा जोईए.
बेन:– अने रात्रे कदी खावुं न जोईए; तथा
सीनेमा जोवी न जोईए, केमके तेनाथी
खोटा संस्कार पडे छे.
जोईए.
भाई:– आपणे तो जिनवर भगवानना मार्गे
चालनारा छीए. जिनवरदेवनो मार्ग
जगतमां घणो ऊंचो छे.
जिनवर पंथे विचरशुं.....
अमे तो जिनवरनां संतान....
जिनवर पंथे विचरशुं.....
अमे तो बनशुं मोटा सिद्ध.....
अमे तो छैये छोटा सिद्ध......
अमे तो बनशुं मोटा सिद्ध......
बनावनार जैनधर्मनो जय हो!
जिनेश्वरना लघुनंदन सर्वे संतोनो जय हो.