Atmadharma magazine - Ank 347
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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भादरवो : २४९८ : आत्मधर्म : १ :
विनम्र श्रद्धांजलि
[प्रशममूर्ति भगवती पूज्य बहेनश्री चंपाबेननी ‘वन’ वर्षोनी पूर्णाहुति
तथा प९ मा वर्षनी जन्मजयंतीना मंगल प्रसंगे समर्पित भावभीनी श्रद्धांजलि]
अध्यात्मयुगप्रवर्तक स्वात्मानुभूतिपथप्रदर्शक परमकुपाळु परमपूज्य
गुरुदेव श्री कानजीस्वामीनी चैतन्यस्पर्शी अमृतवाणीना सुयोगथी जेमणे
पोतानी अंतःचेतना जागृत करी छे, गुरुदेवे आपेलो ज्ञान–वैराग्यमय दिव्य
बोध जेमणे पोताना जीवनमां वणी लीधो छे, जेमनी निर्मळ, निर्विकल्प
स्वानुभूतिमय दशानी गुरुदेव वारंवार प्रशंसा करे छे अने
‘भगवती’,‘जगदम्बा’ वगेरे खास विशेषणो आपीने गुरुदेवे जेमना प्रत्ये
आपणने श्रद्धा, भक्ति अने बहुमान जगाडयां छे, ते मंगलमूर्ति पूज्य भगवती
बहेनश्री चंपाबहेननो आपणा मुमुक्षु समाज उपर घणो उपकार छे; ते
उपकारवश आजे श्रावण वद बीजना मंगलदिने आपणे तेमनो ‘वन’ वर्षोनी
पूर्णाहुति तथा प९ मा वर्षनो जन्मजयंति–समारोह ऊजवीए छीए.
पूज्य चंपाबहेननुं व्यकितत्व अंर्त तथा बाह्य अति गंभीर अने
महान छे. बाळवयथी ज वैराग्यप्रेम, चिंतनशील स्वभाव अने द्रढ
निर्णयशक्ति वगेरे अनेक गुणो तेमनामां सहज छे. निशाळमां भजवाता
दमयंती वगेरे सतीओना वैराग्यप्रेरक संवादो तेमने खूब गमता; साहित्य
अने गीतो पण वैराग्यनां ज गमतां–गातां.
वैराग्यभीनुं अने सत्यशोधक तेमनुं हृदय आत्मानी प्राप्ति माटे तलसतुं
हतुं. पूज्य गुरुदेवनो सत्समागम थयो, तेमनी आत्मस्पर्शी अमोघ वाणीनो
सुयोग प्राप्त थयो. गुरुदेवनी वज्रवाणीए तेमनुं सत्त्व झळकावी दीधुं, समकित
पामवानी तमन्ना तीव्र बनी, सर्व शक्ति आत्मामां केन्द्रित करी; दिन–रात
द्रष्टिनी निर्मळता तथा आत्मानुभूतिनी साक्षात् प्राप्ति माटे अथक, अविरत
पुरुषार्थ कर्यो, अने फलत: मात्र १९ वर्षनी लघु वयमां ज पोतानो अप्रतिम
पुरुषार्थ साकार कर्यो, भवसंततिछेदक सम्यग्दर्शन प्राप्त