पोतानी अंतःचेतना जागृत करी छे, गुरुदेवे आपेलो ज्ञान–वैराग्यमय दिव्य
बोध जेमणे पोताना जीवनमां वणी लीधो छे, जेमनी निर्मळ, निर्विकल्प
स्वानुभूतिमय दशानी गुरुदेव वारंवार प्रशंसा करे छे अने
‘भगवती’,‘जगदम्बा’ वगेरे खास विशेषणो आपीने गुरुदेवे जेमना प्रत्ये
आपणने श्रद्धा, भक्ति अने बहुमान जगाडयां छे, ते मंगलमूर्ति पूज्य भगवती
बहेनश्री चंपाबहेननो आपणा मुमुक्षु समाज उपर घणो उपकार छे; ते
उपकारवश आजे श्रावण वद बीजना मंगलदिने आपणे तेमनो ‘वन’ वर्षोनी
पूर्णाहुति तथा प९ मा वर्षनो जन्मजयंति–समारोह ऊजवीए छीए.
निर्णयशक्ति वगेरे अनेक गुणो तेमनामां सहज छे. निशाळमां भजवाता
दमयंती वगेरे सतीओना वैराग्यप्रेरक संवादो तेमने खूब गमता; साहित्य
अने गीतो पण वैराग्यनां ज गमतां–गातां.
सुयोग प्राप्त थयो. गुरुदेवनी वज्रवाणीए तेमनुं सत्त्व झळकावी दीधुं, समकित
पामवानी तमन्ना तीव्र बनी, सर्व शक्ति आत्मामां केन्द्रित करी; दिन–रात
द्रष्टिनी निर्मळता तथा आत्मानुभूतिनी साक्षात् प्राप्ति माटे अथक, अविरत
पुरुषार्थ कर्यो, अने फलत: मात्र १९ वर्षनी लघु वयमां ज पोतानो अप्रतिम
पुरुषार्थ साकार कर्यो, भवसंततिछेदक सम्यग्दर्शन प्राप्त