निर्मळ निर्विकल्प स्वात्मानुभुतिनुं अमृतझरणुं वहेतुं थयुं. धन्य छे ते महान
आत्मा! अने धन्य छे तेमनो अप्रतिहत पुरुषार्थ!!
प्रगटी. पूज्य गुरुदेवने पोताने वर्षोथी जे ‘भास’ थतो हतो तेनो स्पष्ट उकेल
पूज्य बहेश्रीना स्मरणज्ञाने आप्यो. भूत, वर्तमान अने भावीनुं आश्चर्यकारी
अनुसंधान तेणे आप्युं. ते अनुसंधानज्ञान द्वारा मुमुक्षु समाज उपर खरेखर
महान उपकार थयो छे, गुरुदेवनी परिणतिने बळ मळ्युं छे, गुरुदेवना
प्रभावनायोगने वेग मळ्यो छे अने ए रीते जिनशासननी महान प्रभावना
थई छे.
दशा विशे वर्णन करवुं शक्ति बहार छे. तेमना गहन व्यक्तित्व उपर मात्र गुरुदेव
ज यथार्थ प्रकाश पाथरी शके. गुरुदेवे तेमने ‘भगवती’ अने ‘जगदम्बा’नां
वास्तवस्पर्शी विशेषणो आप्यां छे ते तेमनी सहज अंर्तदशाना तथा तेमनी
महानता यथार्थ द्योतक छे. हंमेशां तोळी तोळीने वचनो उच्चारनारा,
तीक्ष्णद्रष्टिवंत, स्वरूपानुभवी परम पूज्य गुरुदेवश्री अन्य कोई पण व्यक्तिने जे
बे विशेषणोथी कदी विशेषित करता नथी एवां उपरोकत बे महिमापूर्ण विशेषणोथी
पूज्य बहेनश्री चंपाबहेनने अनेक वार प्रसन्नतापूर्वक बिरदावे छे, ते ज हकीकत
पूज्य बहेनश्रीनी अद्भुत महत्ता आपणा हृदयमां द्रढपणे प्रस्थापित करवाने
पूरती छे. आ विशेषणो द्वारा पूज्य गुरुदेवे संक्षेपथी तेमना प्रत्ये पोतानो
अहोभाव व्यक्त करतुं पोतानुं हार्द प्रगट कर्युं छे. गुरुदेवना हार्दने तथा विशेषणना
वाच्यार्थना ऊंडाणने आपणे गंभीरपणे समजीए, गुरुदेवे आपेला अध्यात्मबोधने
जीवनमां उतारनार आ ‘भगवती माता’ नी आत्मसाधनाना आदर्शने
द्रष्टिसन्मुख राखीए अने तेमना जीवनमांथी मळती प्रेरणा द्वारा आपणे आपणो
आत्मार्थ साधीए–एवी अंतःकरणनी भावना छे.