Atmadharma magazine - Ank 347
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ४ : आत्मधर्म भादरवो : २४९८ :
आनंदमंगल आज हमारे
परमकृपाळु परमपूज्य गुरुदेवश्रीना अनन्य भक्त प्रशममूर्ति पूज्य भगवती बहेनश्री
चंपाबहेननी ‘वन’वर्षोनी पूर्णाहुति थता प९मा वर्षनी जन्मजयंतीनो मंगल उत्सव
सुवर्णपुरीमां अति आनंदोल्लासपूर्वक ऊजववामां आव्यो हतो.
माननीय अध्यक्षमहोदय श्री नवनीतलालभाई झवेरी तथा माननीय मुरब्बी श्री
रामजीभाई दोशीए पूज्य बहेनश्रीनी जन्मजयंती ऊजववानो करेलो निर्णय तेमनी सूचनाथी
पूज्य गुरुदेव समक्ष रजू करवामां आव्यो. अभीष्ट उत्सवनी ऊजवणीनी वात आवतां कुपाळु
गुरुदेवे अति प्रसन्नतापूर्वक पोतानी संमति आपी अने कह्युं के–‘चंपाबेन धर्मरत्न छे, तेमने
बहार पडवुं जराय नथी गमतुं, पण तेमना प्रत्ये धर्मप्रमवाळाओने तो ढंढेरो पीटीने तेमने
प्रसिद्धिमां लाववाना भाव आवे ज ने!’
पूज्य गुरुदेवनी प्रसन्नता विद्युतवेगे मुमुक्षुसमाजमां प्रसरी गई. सौ आनंदित थयां.
समय टूंको हतो तेथी त्वराथी संक्षिप्त छतां सुंदर निमंत्रण–पत्रिका छपावीने प्रेषित करवामां
आवी. सुवर्णपुरीनुं वातावरण मंगल महोत्सवनी प्रतीक्षाथी गुंजतुं थई गयुं.
सुवर्णपुरीना मुमुक्षुसमाजे जन्मजयंतीनो आ उत्सव त्रण दिवस ऊजववानुं नक्की कर्युं.
आ शुभोत्सवनी मंगल कामना निमित्ते त्रण दिवस माटे पंचपरमेष्ठीमंडलविधान–पूजा
राखवामां आवी हती.
श्रावणी पूर्णिमा आ मंगल उत्सवना प्रारंभनो पावन दिवस. वहेला प्रभातथी त्रणे
दिवस आश्रमना गगनमांथी चोघडियांवादन संभाळतुं हतुं. आ शुभ प्रसंगने दीपाववा श्री
जिनमंदिर, स्वाध्यायमंदिर तथा ब्रह्मचार्याश्रम विद्युतशोभाथी शणगारवामां आव्यां हतां
आनंदप्रेरक विद्युत–साथिया तथा विविधरंगी विद्युत–शलाकाथी सुशोभित जिनमंदिरनी अद्भूत
रोनक जोई मुमुक्षुओनां हृदय पुलकित थतां हतां. आश्रमनी दिवाल उपर गोठवेलो ‘प९’ नो
आकर्षक विद्युत–आंक सौने ध्यान खेंची प्रसन्न करतो हतो.
महोत्सवनो मुख्य दिवस श्रावण वद बीज : आजे वहेला प्रभातथी आनंदभेरी साथ
जन्मवधाईनां मंगल गीतोथी आश्रमनुं वायुमंडळ गाजी ऊठयुं हतुं. पूज्य गुरुदेवना आजना
मंगल प्रवचन पहेलांं ब्रह्मचारी बहेनोए “मंगलकारी ‘तेज’ दुलारी” गीत गाईने तेमना
जीवनधार पूज्य बहेनश्री प्रत्ये श्रद्धा–भक्ति व्यक्त कर्यां हतां. प्रवचनना अंतमां पूज्य गुरुदेवे
स्वयं “अहो! चंपाबेननो तो आत्मा मंगलमय आत्मा
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