Atmadharma magazine - Ank 347
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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भादरवो : २४९८ : आत्मधर्म : १ :
वार्षिक लवाजम वीर सं. २४९४
चार रूपिया भादरवो
SEPT. 1972
वर्ष: २९: अंक ११
आत्मसंशोधनुं महान पर्व.पर्युषण
‘पर्युषण....’ अहा! केवा मधुरभाव एमां भर्या छे! भादरवा
सुद पंचमी.....पर्युषणपर्वनो पहेलो दिवस एटले उत्तमक्षमा–धर्मनी
आराधनानो मंगल दिवस.
पंचमकाळना अंते धर्मनो अने अनाज वगेरेनो पण लोप
थयो, ने लोको अत्यंत दुःखी–विराधक–अनार्यवृत्तिवाळा–मांसाहारी
थई गया; ४२००० वर्ष बाद अषाडवद एकमथी मांडीने ४९ दिवस
वृष्टि थई ने पृथ्वीमां अनाज पाकवा माऌदयुं....त्यारे भादरवासुद
पांचमे ते अनाज देखीने लोकोमां आर्यवृत्ति जागी ऊठी ने सौए
निर्णय कर्यो के हवेथी कोईए मांसाहार न करवो ने आ अनाज
उपर निर्वाह करवो....आ रीते हिंसकवृत्ति छोडीने अहिंसकवृत्तिनो
अवतार थयो.....ते पर्युषणनो पहेलो दिवस. (भादरवा सुद
पांचमथी चौदस सुधीना दश दिवस ते उत्तमक्षमादि धर्मनी विशेष
आराधनाना दिवसो एटले के पर्युषणपर्व गणाय छे. ए ज रीते
माह अने चैत्र मासमां पण दश दिवसो दशलक्षणी पर्युषणपर्व
गणाय छे.
जीवने अनादिथी मिथ्यावृत्ति छूटीने, जिनवाणीरूपी वर्षा
झीलीने आत्मामां ज्यां सम्यक्त्वादि धर्मना अपूर्व अंकुरा फूटया त्यां
अनंतानुबंधी क्रोधादिभावो छूटीने, वीतरागी क्षमाधर्मनी आराधना
शरू थई.....आत्माए जे दिवसे आवी आराधना शरू करी ते दिवस
तेना माटे पर्युषणनो ज दिवस छे. धर्मना आराधक