Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 19 of 53

background image
: १६ : आत्मधर्म : आसो: २४९८
तारा स्वभावथी दूर छे. चेतनामां आत्मानी ज समीपता छे ने रागादिभावो दूर छे.
माटे अंतरंग द्रष्टिमां आत्माने ज समीप बनावीने, तेमां परिणामने तन्मय करीने
आनंदनो अनुभव कर.
श्रीगुरुओनो आ उत्तम उपदेश छे के तारा परिणाममां तारा चैतन्यस्वभावी
आत्माने ज तुं मुख्य राख; तेने ज समीप राख, ने तेना सिवाय बीजा बधा
परभावोने दूर राख, जुदा राख. आम करवाथी पोतामां शुद्धात्मतत्त्वनी आनंदमय
अनुभूति थई ते ज परम गुरुओनो प्रसाद छे. अहा, परम गुरुओए प्रसन्न थईने
अमने आवो शुद्धात्मानो प्रसाद आप्यो......तेमना अनुग्रह वडे अमने जे
शुद्धात्मतत्त्वनो उपदेश मळ्‌यो, तेनाथी अमने स्वसंवेदनरूप आत्मवैभव प्रगट्यो.
धर्मात्मा ज्ञानचेतनावंत थया छे. तेनी चेतनानी एक्केय पर्यायमां आत्मा दूर
नथी; तेणे चेतनानो दोर आत्मा साथे जोड्यो छे. ने राग साथे चेतनानो संबंध तोडयो
छे. आवी चेतनारूपे ज ज्ञानीधर्मात्मानी खरी ओळखाण थाय छे.
अरे! ज्यां पोतानो शुद्धआत्मा समीप नथी, शुद्ध आत्मा जेनी द्रष्टिमां–
ज्ञानमां–अनुभूतिमां आव्यो नथी, ते जीव निजात्माने दूर राखीने, आत्माने भूलीने
धर्म क््यांथी लावशे? सुख क््यांथी लावशे? धर्मी तो जाणे छे के मारी श्रद्धामां मारा
ज्ञानमां मारा सुखमां मारी बधी पर्यायोमां मारो चिदानंदी आत्मा ज मने समीप वर्ते
छे, तेनुं ज मने आलंबन छे. आवा आत्मा सिवाय बीजे क््यांय अमारी परिणति
ठरती नथी. वाह रे वाह! धर्मोनी दशा तो जुओ! अमारो आत्मा सदाय सर्वत्र
अमारा अंतरमां अमारी साथे ज छे, जगतना साथनुं अमारे शुं काम छे? शुभ
रागनोय अमने धर्ममां साथ नथी, अमारा चैतन्यनो ज अमने साथ छे, तेने अमे कदी
छोडता नथी. सीताजीने भले वनवास मळ्‌यो, रामनो वियोग थयो, पण ते वखतेय
अंतरमां एमनो ‘आतमराम’ एमनी साथे ज हतो. अयोध्या भले दूर रही, रोती प्रजा
दूर रही, राजपाट बधुं दूर रह्युं ने राजा राम पण भले दूर रह्या, पण भगवान
‘आतमराम’ अंदरथी जराय दूर नथी थया, आत्मा तो समीप ने समीप ज छे. गमे
त्यां हो –धर्मी जाणे छे के मारा अंतरमां जे सम्यग्दर्शनादि वर्ते छे तेमां महा पूजय
पंचम भावरूप चैतन्यभगवान मारे हाजराहजूर वर्ते छे, एनी ज भावनामां मारी
परिणति तन्मय वर्ते छे. ते परिणतिमां समस्त चैतन्यनिधान खुली गया छे. रागथी
जुदी थईने अंतरमां वळेली मारी परिणतिमां मारा