आत्माने शुभाशुभ भावो वर्ते छे तोपण तेने अंदर तो श्रद्धान होय ज छे के ‘आ कार्य
मारां नथी, पर वस्तुनो हुं कर्ता नथी; ने राग साथे मारी चेतनवस्तु एकमेक नथी. ’ ते
पोताना ज्ञानने राग साथे एकमेक नथी करतो; सदाय बंनेने भिन्न ज जाणे छे. ते
रागादिने जुदा जाणतो थको तेनो कर्ता थतो नथी पण तेनो ज्ञाता ज रहे छे.
केवळज्ञानस्वभाव साथे मित्रता करी छे ने केवळज्ञानने साद पाडीने बोलाव्युं छे.
ज्ञानीनुं ज्ञान हंमेशा विकल्पोथी ने संयोगोथी जुदुं ज रहे छे. विकल्प होवा छतां
विकल्पोथी भिन्न परिणमतुं आ ज्ञान एवुं छे के विकल्पातीत थईने जीवने ठेठ मोक्ष
सुधी पहोंचाडे ज छे.