Atmadharma magazine - Ank 350
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : मागशर : २४९९
काम छे? आवी रीते निजस्वरूपनो निर्णय करीने ते अन्य विकार भावो तरफथी
पाछो फरी जाय छे – जुदो पडी जाय छे. वच्चे परिणाम ढीला थाय तो पश्चात्तापपूर्वक
फरी फरी उग्र प्रयत्नथी चित्तने आत्मामां जोडे छे. तत्त्वप्रतीतिनी आवी प्रयत्नदशा
वखते ते जीवना अंतरमां सहेजे अत्यंत कोमळता – समता – धर्मवात्सल्य –
अहिंसाभाव संसारना विषयोथी विरक्ति, ने चैतन्य प्रत्येनो महान उल्लास होय छे.
बीजे क््यांय तेनुं चित्त चोंटतुं नथी. वैराग्य अने तत्त्वज्ञानपूर्वक तेनो तमाम प्रयत्न
पोताना आत्मस्वभावमां ध्यान केन्द्रित करवा तरफ ढळेलो होय छे; आवा टाणे
बहारमां तीव्रपणे हिंसा–चोरी – जूठुं – परिग्रह अने अब्रह्मचर्यना भावोमां डूबी
जवानुं तेने संभवे नहि; ज्यां – ज्यां कषायवाळुं वातावरण जणाय त्यांथी तेनुं चित्त
झडपभेर दूर भागे. अहा, ज्यां अंतरमां लक्ष फरवानुं टाणुं आव्युं, ज्यां चैतन्यनी
महाअतीन्द्रिय शांतिना धोध ऊछळवानी तैयारी थई त्यां कषायना प्रसंगमां ते जीव
केम ऊभो रहे? आम बाह्यमां उदासीनता ने अंतरमां चैतन्यनी प्रसन्नता वर्तती
होय. पोतानो पुरुषार्थ स्वतरफ ऊपडी रह्यो छे एम तेने देखाय.
आ प्रसंगे बहारनी कोई पण अडचणोथी ते जराये मुंझातो नथी, ते तरफ तेनुं
लक्ष जतुं नथी, तेना लक्षमां तो चैतन्यभगवान ज घोळाया करे छे... परिणति
वेगपूर्वक स्वघर तरफ आवी रही छे; ने उपयोगनी वधु ने वधु सूक्ष्मता द्वारा बधी
सूक्ष्म विपरीतताने पण ते तोडतो जाय छे.
– आ रीते ज्ञानस्वभावना महिमाने घूंटता – घूंटतां छेवटे, निजपुरुषार्थनी
प्रचंड ताकात वडे एक क्षणे ते जिज्ञासु जीवनी चेतनामां स्वभाव तरफनी कोई अपूर्व
धारा उल्लसतां तेनी ज्ञानपरिणति अंतर्मुख थईने अज्ञानअंधकारने भेदती, दर्शन
मोहने तोडती, निर्विकल्प महाआनंदपूर्वक अतीन्द्रिय स्वसंवेदन वडे शांतिना समुद्र
पोताना भगवान आत्माने प्रत्यक्ष करी ले छे. अहा, ते अवसरने धन्य छे. त्यारे
अपूर्व एवा सम्यग्द्रर्शनथी तेना सर्वप्रदेश आनंदरसमां तरबोळ थई जाय छे,
आत्मामां आनंद–आनंदनी धारा वहे छे; ने अपूर्व प्रसन्नताथी तेना रोमेरोम पण
पुलकित थई जाय छे. अहा! चैतन्यना अखंड सुखनो नमुनो चाखवा मळ्‌यो,
मुक्तिना दरवाजा खूली गया... ए धन्य पळनी शी वात!!
महाभयंकर तोफानी सागरमां मधदरिये डूबता, ने मगरमच्छथी पकडायेला
मुसाफरने अनायासे तरवा माटेनो कोई आधार प्राप्त थई जाय ने महाप्रयत्ने ते
किनारे