Atmadharma magazine - Ank 350
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 24 of 41

background image
: मागशर : २४९९ आत्मधर्म : २१ :
पण मनुष्यलोकमां विचरे छे.
१८प. अरिहंत भगवानने क्युं गुणस्थान
होय?
तेरमुं अने चौदमुं.
१८६. गामडियाने आत्मानी आवडी मोटी
वात समजाय छे?
भाई, तुं गामडियो नथी, तुं
अनंतगुणवंत भगवान छो.
१८७. ज्ञानीओ शुं बतावे छे?
जे स्वरूप छे ते ज बतावे छे; विशेष
कंई नथी कहेता.
१८८. आ वात केवी छे?
पोताना हित माटे जरूर समजवा
जेवी छे.
१८९. करोडो रूपियामां के बंगला – मोटरमां
केटलुं सुख छे?
एमां क्यांय सुखनो छांटोय नथी.
१९०. तो सुख क्यां छे?
सुख तो आत्माना सम्यग्द्रर्शन – ज्ञान –
चारित्रमां ज छे.
१९१. शरीर – रूपिया – मकान वगेरे जीव
छे के अजीव?
ते बधा अजीव छे.
१९२. अजीवमां सुख होय? – कदी न होय.
१९३. परलक्षी शुभाशुभभावोमां सुख छे?
– ना.
१९४. संवर–निर्जरारूप सुखमां कोनी
सन्मुखता छे?
तेमां आत्मानी सन्मुखता छे.
१९प. आस्रव –बंधरूप दुःखमां कोनी
सन्मुखता छे?
तेमां परसन्मुखता छे.
१९६. मनुष्यक्षेत्रमां अत्यारे अरिहंतो छे?
हा, विदेहमां सीमंधरस्वामी वगेरे लाखो
अरिहंतो छे.
१९७. आ भरतक्षेत्रमां कोई अरिहंत हता?
हा; अढीहजार वर्ष पहेलांं
महावीरप्रभु विचरता हता.
१९८. संस्कृतभाषामां पहेलवहेला
सिद्धांतसूत्र कोणे रच्यां?
श्री उमास्वामीए मोक्षशास्त्र
संस्कृतमां रच्युं; तेओ
कुंदकुंदचार्यदेवना शिष्य हता.
१९९. ते मोक्षशास्त्र उपर कोणे – कोणे टीका
रची छे?
पूज्यपादस्वामीए सर्वाथसिद्धि, अकलंकदेवे
तत्त्वार्थ – राजवार्तिक, अने
विद्यानंदीस्वामीए
तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, ए त्रण
महान टीकाओ रची छे.
२००. ते मोक्षशास्त्रनुं पहेलुं ज सूत्र शुं छे?
‘सम्यग्दर्शन– ज्ञान –चारित्राणि
मोक्षमार्गः। ’
२०१. समयसारनी ११ मी गाथामां
सम्यग्द्रर्शन कोने कह्युं छे?