Atmadharma magazine - Ank 350
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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आपनो उपकार अजोड छे

हे धर्मपिता! आप आकाशविहार करीने विदेह
गया, ने तीर्थंकर भगवान पासेथी अमारा माटे ऊंची–ऊंची
वस्तु लाव्या शुं लाव्या? अहा, आत्मानो अचिंत्य वैभव
लाव्या.... अमारा माटे आत्माना आनंदनी अनुभूति
लाव्या! सीमंधरप्रभु पासेथी लावेलुं ने आत्मानी
अनुभूतिमांथी खीलेलुं दिव्य ज्ञान आपे अमने आप्युं.
आनंदमय निजवैभववडे आपे दर्शावेला एकत्वस्वरूपने
अमे आनंदथी साधी रह्या छीए. अहो, आपनो उपकार
अजोड छे. आप अमारा गुरुओना पण गुरु छो. अहो,
भरतक्षेत्रना भगवान! आप आ पृथ्वीमां वंदनीय छो.
(मागशर वद आठमे कुंदकुंदप्रभुनी आचार्यपदे
प्रतिष्ठा थवानो मंगल दिवस छे. आपणे प्रभुना उपकारने
याद करीने आनंदथी तेमनां पूजन भक्ति करीशुं.)