
२प३.
२प४.
२पप.
२प६.
२प७.
२प८.
२प९.
पोतानी भूलने, तेमज पोताना
गुणने जाणे त्यारे.
जीवने सुख – दुःखनुं कारण कोण?
पोताना गुण – दोष; बीजुं कोई
नहीं, कर्म पण नहीं.
आत्मानो स्वभाव दुःखनुं कारण
थाय?
ना; आत्मानो स्वभाव सुखनुं ज
कारण छे.
राग के पुण्य कदी सुखनुं कारण
थाय?
ना; राग ने पुण्य तो सदाय दुःखनुं
ज कारण छे.
आम जाणनार जीव शुं करे छे?
पुण्य – पापथी जुदो पडीने आत्मा
तरफ वळे छे.
पुण्यथी भविष्यमां सुख मळशे ए
साचुं? – ना.
अज्ञानीओ कोने आदरे छे?
पुण्यने.
ज्ञानी कोने आदरे छे?
पुण्य – पाप वगरनी ज्ञानचेतनाने,
२६१.
२६२.
२६३.
२६४.
२६प.
२६६.
२६७.
शके?
कदी न थाय, आत्माने ओळखीने ज
धर्म थाय.
सम्यग्दर्शननां निमित्त कोण छे?
साचां देव – गुरु – धर्म सम्यक्त्वनां
निमित्त छे.
गुण शुं? पर्याय शुं?
द्रव्य शुं? टके ते गुण; पलटे ते
पर्याय; गुण पर्यायवंत द्रव्य.
वीतरागी देव कोण? – अरिहंत अने
सिद्ध.
निर्ग्रथ गुरु कोण? – आचार्य
उपाध्याय – साधु.
साचो धर्म क्यो? – सम्यक्त्वादि
वीतरागभाव.
इंडामां जीव छे?
हा; ते पंचेन्द्रिय जीव छे; तेनो
आहार ते मांसाहार ज छे.
वीतरागमार्गमां अहिंसा कोने कहे
छे?
रागादि भावोथी रहित शुद्धभाव ते
अहिंसा छे