Atmadharma magazine - Ank 351
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 21 of 45

background image
: १८ : आत्मधर्म : पोष : २४९९
२६८.


२६९.



२७०.


२७१.


२७२.


२७३.



२७४.



२७प.
हिंसा कोने कहे छे?
जेटला रागादि भावो छे तेटली
चैतन्यनी हिंसा छे.
हिंसा – अहिंसानुं आवुं स्वरूप क्यां
छे?
सर्वज्ञदेवना मतमां ज छे; बीजे
क्यांय नथी.
आवा अहिंसा–धर्मने कोण ओळखे
छे?
सम्यग्द्रष्टि ज ओळखे छे.
जैनसाधु केवा होय छे?
सदा निर्ग्रंथ होय छे; तेमने वस्त्र
होता नथी.
एनाथी विरुद्ध साधुपणुं माने तो?
– तो तेने सम्यक्त्वनां साचा
निमित्तनी खबर नथी.
जीव कई विद्या पूर्वे कदी नथी
भण्यो?
वीतराग – विज्ञानरूप साची चैतन्य
विद्या कदी नथी भण्यो.
ज्ञान आत्माथी कदी जुदुं केम नथी
पडतुं?
– केमके ज्ञान ते आत्मानुं स्वरूप ज
छे.
कर्म अने शरीर केवां छे?
आत्माथी जुदी जातनां छे, ते
आत्मानुं स्वरूप नथी.
२७६.



२७७.


२७८.



२७९.

२८०.

२८१.


२८२.



२८३.


२८४.
पुण्य – पापवाळो आत्मा ते खरो
आत्मा छे?
ना; खरो आत्मा चेतनारूप ने
आनंदरूप छे.
मुमुक्षुजीवने शुं साध्य छे?
मुमुक्षुजीवने मोक्षपद सिवाय बीजुं
कांई साध्य नथी.
साचो आनंद (मोक्षनो आनंद) केवो
छे?
‘स्वयंभू’ छे, आत्मा ज ते – रूप
थयोछे.
साधकदशानो समय केटलो? ...
असंख्य समय.
साध्यरूप मोक्षदशाने काळ केटलो? ...
अनंत.
सिद्धदशा– मोक्षदशा केवी छे?
महा आनंदरूप; सम्यक्त्वादि सर्व
गुण सहित, आठ कर्म रहित.
चोथा गुणस्थाने सम्यग्द्रर्शन छे ते
रागवाळुं छे?
ना; त्यां राग होवा छतां सम्यग्दर्शन
तो राग वगरनुं ज छे.
सम्यक्त्व साथेनो राग केवो छे?
ते बंधनुं ज कारण छे; सम्यक्त्व ते
मोक्षनुं कारण छे.
कोईने एकलुं व्यवहार सम्यग्द्रर्शन
होय?