शुं लाव्या? चैतन्यनी अनुभूति लाव्या, आत्मानो वैभव लाव्या...
जीवो उपर आपनो अजोड उपकार छे. आजे कहानगुरु आपना
शासननो महान प्रभाव भरतक्षेत्रमां फेलावी रह्या छे... तेओश्रीनो
पण अमारा उपर महान उपकार छे. तेमना प्रतापे मुमुक्षु हृदयोमां
आपनुं भावश्रुत टंकोत्कीर्ण थयुं छे, ने आरसमां आपनुं द्रव्यश्रुत पण
टंकोत्कीर्ण थई रह्युं छे.
शुं लाव्या? चैतन्यनी अनुभूति लाव्या, आत्मानो वैभव लाव्या...
जीवो उपर आपनो अजोड उपकार छे. आजे कहानगुरु आपना
शासननो महान प्रभाव भरतक्षेत्रमां फेलावी रह्या छे... तेओश्रीनो
पण अमारा उपर महान उपकार छे. तेमना प्रतापे मुमुक्षु हृदयोमां
आपनुं भावश्रुत टंकोत्कीर्ण थयुं छे, ने आरसमां आपनुं द्रव्यश्रुत पण
टंकोत्कीर्ण थई रह्युं छे.