Atmadharma magazine - Ank 351
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : पोष : २४९९
बालविभाग
गतांकमां पूछेला प्रश्नोना जवाब घणा सभ्योए होंशथी लखी मोकल्या छे, ते
माटे धन्यवाद. जवाब नीचे मुजब छे :–
१ शत्रुंजय सिद्धक्षेत्र पांडवमुनि
२ समयसारनो भाई नियमसार
३ महावीरप्रभुनो मोक्ष दिवाळी
४ आत्मानो स्वभाव ज्ञान
सिहभवमां आत्मानी ओळखाण महावीर भगवान
६ मोक्षनुं मूळ सम्यग्द्रर्शन
७ धर्मराजानो दरबार समवसरण
शरीरवगरनी सुंदर वस्तु सिद्धभगवान
९ गौतमस्वामीनुं नाम ईन्द्रभूति
१० मोक्षमां जवानुं विमान रत्नत्रय
१. शत्रुंजय सिद्धक्षेत्र उपरथी त्रण पांडवभगवंतो मोक्ष पाम्या छे.
२. समयसारनो भाई एटले नियमसार. बंनेनी रचना कुन्दकुन्द प्रभुए करी छे.
३. महावीरप्रभु आसो वद अमासे मोक्ष पाम्या तेथी ते दिवसे दीवाळी उजवाय छे.
४. आत्मानो स्वभाव ज्ञान छे ज्ञान साथे बीजा अनंता स्वभावो छे.
प. महावीर भगवाने पूर्वे सिहना भवमां मुनिना उपदेशथी आत्माने ओळख्यो.
६. मोक्षनुं मूळ सम्यग्द्रर्शन छे. सम्यग्द्रर्शन थतां मोक्ष फळ जरूर आवे छे.
७. धर्मराजा एटले तीर्थंकर, तेमनो धर्मदरबार एटले समवसरण.
८. शरीर वगरनी सुंदर वस्तु ए तो सिद्धभगवान; तेओ शरीर वगर महा सुखी छे.
९. गौतमस्वामीनुं नाम ईन्द्रभूति, तेओ त्रण भाई; त्रणे गणधर थईने मोक्ष पाम्या.
१०. मोक्षमां जवानुं विमान ए तो रत्नत्रय छे. – तेमां बेठा के सीधा मोक्षमां.