: पोष : २४९९ आत्मधर्म : ३१ :
बीजा प्रश्नमां बे वस्तु शोधवानी हती (१) परमाणु (२) परमात्मा
परमाणु अने परमात्मा – ए बंने अत्यंत सूक्ष्म छे, ईन्द्रियथी जणाता नथी.
परमाणुओ जगतमां अनंत छे ने सिद्धपरमात्मा पण अनंत छे.
बंनेमां पहेलां त्रण अक्षर सरखा छे, छतां एक जड छे, बीजा चेतन छे.
परमाणुमांथी शरीर बने छे; परमात्मा ते तो भगवान छे.
आ रीते परमाणु अने परमात्मा बंनेने तमे ओळखी लीधा हशे.
नवा सभ्योना नाम: (अंक ३४९ थी चालु)
३०६प केतनकुमार जयंतिलाल जैन अंकलेश्वर ३०७३ महावीरकुमार रसिकलाल जैन बीलीमोरा
३०६६ क्रुपलबेन जयंतिलाल जैन अंकलेश्वर ३०७४ आरतीकुमारी रसिकलाल जैन बीलीमोरा
३०६७ हितेषकुमार ए. शाह जैन भावनगर ३०७प भावनाबेन जयंतिलाल जैन सुरत
३०६८ परेशकुमार एस. शाह जैन राजकोट ३०७६ अमिषकुमार जयंतिलाल जैन सुरत
३०६९ राजेशकुमार एस. शाह जैन राजकोट ३०७७ वर्षाबेन कान्तिलाल जैन मुनाई
३०७० अंजलिबेन एस. शाह जैन राजकोट ३०७८ दक्षाबेन जयंतिलाल जैन थानगढ
३०७१ गीताबेन एस. शाह जैन राजकोट ३०७९ शीलाबेन कनैयालाल जैन कलकत्ता
३०७२ जवाहरभाई लालचंद जैन ध्राफा ३०८० बाबुलाल बी. जैन कलकत्ता
[बालसभ्योनां बाकीनां नामो हवे पछी आपीशुं]
(बंधुओ, बालविभागमां ने आत्मधर्ममां आप सौ उत्साहथी भाग लई रह्या
हता. पण हमणां संपादकनी तबीयत बे मासथी बराबर रहेती न होवाथी, पूरा
आरामनी जरूर छे, तेथी बे मास सुधी बालविभाग आपी नहीं शकाय. तेमज
आत्मधर्म पण कदाच थोडुंक अनियमित थवानो संभव छे. तो आ सूचना लक्षमां लेवा
सौने विनंति छे. बनशे त्यां सुधी तो योग्य व्यवस्था करवामां आवशे.)