Atmadharma magazine - Ank 353
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : र४९९ आत्मधर्म : ९ :
अंतरतत्त्वना आनंदनी उत्पत्तिनुं धाम तो शुद्धजीवास्तिकाय पोते छे, तेमां
अंतर्मुख थईने जे श्रद्धा थई ते सम्यग्दर्शन छे. ते सम्यग्दर्शन आखा जगतथी
अत्यंत निरपेक्ष छे. सम्यग्दर्शनमां एकली श्रद्धा नथी; एनी साथे तो आत्माना
अतीन्द्रिय आनंद–ज्ञान वगेरे अनंता निर्मळ भावो खीले छे. अनंतगुणना
निर्मळरसथी भरेलुं आवुं सम्यग्दर्शन पोते आनंदरूप छे, ने ते महा आनंदनो
मार्ग छे.
हे वीरनाथ! आवा आनंदमय मार्गे आप शिवनगरीमां पहोंच्या...
हुं पण आनंदपूर्वक आपना ज मार्गे शिवपुरीमां आवी रह्यो छुं.
आनंदमय जिनमार्ग जयवंत वर्तो.
बेंगलोर शहेरमां मंगल मुहूर्त
बेंगलोरना मुमुक्षु मंडळ तरफथी त्यांना ट्रस्टी श्री जुगराजजी
शेठ तरफथी सहर्ष समाचार छे के बेंगलोरमां नवीन दिगंबर
जिनमंदिर तेमज समवसरण–मंदिरनुं निर्माण थवानुं छे; तेना
शिलान्यासनुं शुभ मुहूर्त ता. र४–३–७३ ना रोज राखेल छे. आ
प्रसंगे पू. गुरुदेव (श्री कानजी स्वामी) बे दिवस माटे बेंग्लोर
पधारवाना छे.
बेंगलोरनुं
सरनामुं–
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंडल ट्रस्ट
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