रागना विषयोमां धर्मीने प्रेम केम रहे? एना स्वादने धर्मी पोतानो केम माने?
नामे रागादिनी पुष्टि करनारा लूटाराओ छे, –एमां क्यांय आवुं चैतन्यतत्त्व तने नहीं
मळे. अहो! ज्ञान ते कोने कहेवाय? ज्यां ज्ञान थयुं त्यां रागथी लूखी एवी अपूर्व
शांति प्रगटी के गमे तेवी प्रतिकूळताना घेर वच्चे पण ज्ञान पोतानी शांतिथी छूटतुं
नथी; ते ज्ञानना बळे धर्मीजीव कर्मोने निर्जरावी ज नांखे छे.