Atmadharma magazine - Ank 354
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: २ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९९
भगवान महावीरे आत्माना अनुभववडे मोक्षने साध्यो,
तमे पण आजे ज एवो अनुभव करो.
चैत्र सुद तेरसना मंगलदिने, भगवान महावीरना
वीतरागमार्गनी प्रसिद्धि करतां प्रवचनमां गुरुदेवे कह्युं के–
आत्मानी अनुभवदशा वडे मोक्ष सधाय छे. आ महावीरनो मार्ग
छे ने आ ज महावीरनो उपदेश छे. जे जीवे आवो मार्ग समजीने
पोतामां प्रगट कर्यो तेनो अवतार सफळ छे.. तेणे महावीर
भगवानने खरेखर ओळखीने अने पोतामां महावीरना
वीतरागमार्गने प्रसिद्ध करीने खरो मंगल–महोत्सव उजव्यो.
आजे चैत्र सुद तेरस, भगवान महावीरनो मंगल जन्मदिवस छे. आजथी
२प७१ वर्ष पहेलांं भगवान आ भरतभूमिमां वैशालीनगरीमां अवतर्या हता
भगवाननो जन्म मंगलरूप हतो, तेओ जन्मथी ज अतीन्द्रिय आत्माना ज्ञानसहित
हता. पहेलांं अनादिथी संसारमां रहेला ते जीवे सिंहना भवमां मुनिओना उपदेशथी
सम्यक्त्व प्रगट कर्युं, एटले के अतीन्द्रिय आत्माना आनंदनो अनुभव कर्यो, ने पछी
आत्मानी उन्नत्ति करतां–करतां आ छेल्ला भवमां केवळज्ञान प्रगट करीने पावापुरीथी
मोक्ष पधार्या; आवता वर्षे तेने अढी हजार वर्ष थशे ने तेनो मोटो उत्सव उजवाशे.
साधक जीवो ज्ञाननी स्मृतिना बळे वच्चेनो काळ दूर करीने कहे छे के भगवान
आजे ज जन्म्या. भगवानने देहथी भिन्न आत्मानुं ज्ञान तो पूर्वे अनेक भवोथी हतुं,
अतीन्द्रिय आनंदना स्वादनो अनुभव हतो; एवी अनुभवदशा उपरांत अवधिज्ञान–
सहित भगवान महावीर त्रिशलामातानी कूंखे सवानव मास रह्या. ते वखते पोते
पोताने देहथी भिन्न जाणता हता. त्रीस वर्ष सुधी कुमारअवस्थामां रह्या. लग्न तो