पोताने अनर्थकारी छे.–आ रीते अज्ञानमय अध्यवसाननुं
मिथ्यापणुं समजावीने तेने छोडवानो उपदेश छे.
जीवाडुं ने मारुं, के परजीवो मने जीवाडे ने मारे, हुं परजीवोने बंधन के मुक्ति करुं ने
परजीवो मने बंधन के मुक्ति करे.–आम स्व–परनी एकताबुद्धिथी अज्ञानी जीवो माने
छे; परंतु तेनी मान्यता अनुसार कांई परजीवनुं काम थतुं नथी. पर जीवमां सुख–
दुःख हर्ष–शोक थाय के न थाय ते तेना पोताना कारणे थाय छे, आ जीवना भावने
लीधे तेमां कांई थतुं नथी. आ जीवनो मिथ्या अभिप्राय तेने पोताने चारगतिमां
रखडवानुं कारण थाय छे. परने माटे तो ते अभिप्राय कांई ज कार्यकारी नथी, एटले
अकिंचित्कर छे, मिथ्या छे, निष्फळ छे.
छे. परजीव मरे के न मरे पण अज्ञानी पोतानी मिथ्यामान्यताने कारणे बंधाय छे.
हिंसा–अहिंसाना परिणामनी जेम, असत्य ने सत्य वगेरेमां पण जीवने परसाथेनी
एकत्वबुद्धि ज बंधनुं कारण छे, परनी क्रिया बंधनुं कारण नथी. क्रिया तो जुदी छे,
शुभ–अशुभ परिणाम साथे जे एकताबुद्धि करे छे ते ज पुण्य–पाप वडे बंधाय छे.