तेनामां शुं करे? आवुं भिन्नपणानुं भेदज्ञान करीने ज्ञानभावरूपे परिणमे तेने बंधन
थतुं नथी.
अहिंसादिना शुभभाव मारुं कार्य छे अने ते अहिंसाना भाव वडे हुं परने बचावी
शकुं छुं–एवी बुद्धि ते तो मिथ्यात्व छे; ने ते अधर्म छे, बंधनुं ज कारण छे. अशुभमां
एकत्वबुद्धि के शुभमां एकत्वबुद्धि ते बंने मिथ्यात्व ज छे. रागथी छूटो पडीने
भेदज्ञान वडे ज्ञानरूपे जे परिणम्यो ते ज्ञानीने बंधन थतुं नथी. जेने मिथ्याबुद्धि छे ते
अशुभ करे के शुभ,–पण मिथ्यात्वथी ते बंधाय ज छे.
मिथ्यात्वनी हिंसाथी हणातो बचावीने अहिंसा कर.–आवी वीतरागी स्वदया ते
परमार्थ अहिंसा छे, ने आवी अहिंसा ते धर्म छे, ते मोक्षनुं कारण छे.
ज्ञानमां तेनुं कर्तृत्व नथी; ज्ञानभूमिकामां धर्मीजीव रागने आववा देतो नथी. जीवनो
मिथ्याभाव ते बंधनुं एक कारण; ने परजीव मरे के बचे ते बंधनुं बीजुं कारण–एम
बंधना कारण बे नथी, पण अज्ञानी जीवनो अध्यवसान ते एक ज बंधनुं कारण छे.
मिथ्या ज छे, केमके आत्मामां परनी क्रियानो अभाव छे. आत्मामां जे छे ज नहि तेने
आत्मा केम करे? छतां मिथ्याबुद्धिथी परने करवानुं माने तो ते पोताने ज अनर्थनुं
कारण छे; परमां तो तेनाथी कांई ज थई शकतुं नथी. आ रीते अध्यवसान परने माटे
अकिंचित्कर छे अने पोताने माटे अनर्थनुं–दुःखनुं–बंधनुं कारण छे. माटे ते छोडवा
जेवो छे.