Atmadharma magazine - Ank 356
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 43

background image
: ६ : आत्मधर्म जेठ: २४९९ :
* शुद्धआत्मानी श्रद्धा ते एक ज सम्यग्दर्शन छे;
* शुद्धआत्मानुं ज्ञान ते एक ज सम्यग्ज्ञान छे;
* शुद्धआत्मामां लीनता ते एक ज सम्यक्चारित्र छे.
* आवा शुद्ध सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप एक ज मोक्षमार्ग छे.
* व्यवहारना विकल्पोनो तेमां अभाव छे.
निश्चयनी भूमिकामां तेने योग्य ज व्यवहार होय छे, तेनो स्वीकार छे, पण
तेने सत्य मोक्षमार्ग तरीके ज्ञानी स्वीकारता नथी.
प्रश्न:– जे व्यवहाररत्नत्रय छे ते खरेखर मोक्षमार्ग नथी, तो उपचारथी तेने
मोक्षमार्ग केम कह्यो?
उत्तर:– केमके निश्चय साथे ते भूमिकामां तेवो ज व्यवहार निमित्तपणे होय छे,
विपरीत नथी होतो,–एम ते भूमिकानुं ज्ञान कराववा तेमां मोक्षमार्गनो उपचार छे.
जेम बिलाडीमां वाघनो उपचार ते एम सूचवे छे के बिलाडी पोते खरेखरो वाघ नथी,
खरो वाघ एनाथी बीजो छे; तेम व्यवहारमां मोक्षमार्गनो उपचार ते एम सूचवे छे के
व्यवहार पोते खरेखरो मोक्षमार्ग नथी, खरो मोक्षमार्ग एनाथी बीजो छे, ‘ज्ञान ते
आत्मा’ एटला गुणगुणीभेदना विकल्परूप व्यवहार पण मोक्षनुं साधन थई शकतो
नथी, त्यां बीजा स्थूळ रागनी शी वात?
* मोक्षमार्ग बे नथी, एक ज छे; तेम–
* मोक्षमार्गमां जे सम्यग्दर्शन छे ते बे नथी, एक ज छे;
* मोक्षमार्गमां जे सम्यग्ज्ञान छे ते बे नथी, एक ज छे;
* मोक्षमार्गमां जे सम्यक्चारित्र छे ते बे नथी, एक ज छे.
एकरूप आत्मस्वरूपनी अनुभूतिमां आवो मोक्षमार्ग समाय छे. तेथी
अभेदनयथी अनुभूतिस्वरूप जे आत्मा छे ते पोते ज मोक्षमार्ग छे. आत्मा सिवाय
बीजा कोईनुं अवलंबन तेमां नथी. भाई, तारा हितनो मार्ग तारा स्वभावनी
जातनो छे, ते तारा आत्माना आश्रये ज प्रगटे छे–संतो तारा हितनो आवो मार्ग
तने बतावे छे. तेने ओळखीने स्वाश्रये तारुं हित साधी ले.