
* शुद्धआत्मानुं ज्ञान ते एक ज सम्यग्ज्ञान छे;
* शुद्धआत्मामां लीनता ते एक ज सम्यक्चारित्र छे.
* आवा शुद्ध सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप एक ज मोक्षमार्ग छे.
* व्यवहारना विकल्पोनो तेमां अभाव छे.
निश्चयनी भूमिकामां तेने योग्य ज व्यवहार होय छे, तेनो स्वीकार छे, पण
जेम बिलाडीमां वाघनो उपचार ते एम सूचवे छे के बिलाडी पोते खरेखरो वाघ नथी,
खरो वाघ एनाथी बीजो छे; तेम व्यवहारमां मोक्षमार्गनो उपचार ते एम सूचवे छे के
व्यवहार पोते खरेखरो मोक्षमार्ग नथी, खरो मोक्षमार्ग एनाथी बीजो छे, ‘ज्ञान ते
आत्मा’ एटला गुणगुणीभेदना विकल्परूप व्यवहार पण मोक्षनुं साधन थई शकतो
नथी, त्यां बीजा स्थूळ रागनी शी वात?
* मोक्षमार्गमां जे सम्यग्दर्शन छे ते बे नथी, एक ज छे;
* मोक्षमार्गमां जे सम्यग्ज्ञान छे ते बे नथी, एक ज छे;
* मोक्षमार्गमां जे सम्यक्चारित्र छे ते बे नथी, एक ज छे.
एकरूप आत्मस्वरूपनी अनुभूतिमां आवो मोक्षमार्ग समाय छे. तेथी
बीजा कोईनुं अवलंबन तेमां नथी. भाई, तारा हितनो मार्ग तारा स्वभावनी
जातनो छे, ते तारा आत्माना आश्रये ज प्रगटे छे–संतो तारा हितनो आवो मार्ग
तने बतावे छे. तेने ओळखीने स्वाश्रये तारुं हित साधी ले.