: २२ : आत्मधर्म : श्रावण : २४९९
दश प्रश्न..... दश उत्तर
(प्रवचनमांथी सुंदर संकलन)
जैन मुनिओनुं चारित्र केवुं होय छे?
जेनाथी भवनो अंत आवे – एवुं जैन मुनिओनुं वीतराग चारित्र छे.
वीतरागी वाणी शेनुं निमित्त छे?
ते आत्माना परमआनंदनुं ने वीतरागतानुं ज निमित्त छे.
सम्यग्द्रर्शन पछी मुक्ति क््यारे थशे?
सम्यग्द्रष्टिने जेटली शुद्धी छे तेटली तो मुक्ति वर्ते ज छे.
अत्यारे केवळी भगवान छे?
हा; विदेहमां बिराजे छे; ने अहीं बेठा बेठा तेमना श्रद्धा – ज्ञान थई
शके छे.
केवळीनी प्रतीत केवी रीते थाय?
पोताना ज्ञानस्वभावनी सन्मुख थतां केवळीनी पण प्रतीत थाय छे.
अत्यारे मोक्ष छे?
हा; दरेक छ महिना – आठ समये ६०८ जीवो मोक्ष पामे ज छे. आ
रीते मोक्षनो मार्ग सदाय खुल्लो ज छे, क््यारेय बंध नथी.
धर्मात्मानुं कर्तव्य शुं?
स्वात्मचिंतन करवुं ते.
त्यार पहेलांं शुं करवुं?
ज्ञानमां आत्मवस्तुनो निर्णय करवो.
आत्मानो शुभविकल्प करतां करतां अनुभव थशे?
ना; विकल्पथी छूटो पडीने आत्मानो अनुभव थशे.
साची विद्या कई छे?
सत् एवो आत्मा जे ज्ञानवडे जणाय, ते ज साची विद्या छे.