Atmadharma magazine - Ank 358
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९९ आत्मधर्म : १ :
त्रण मासनुं वीर सं. २४९९
लवाजम श्रावण
एक रूपियो Augu. 1973
वर्ष : ३० अंक १०
आजे ज.... अनुभव कर..
संतोना तने आशीर्वाद छे
अंतरमां परम सर्वोत्कृष्ट प्रेम लावीने आत्माने
जाणतां आनंदसहित ते अनुभवमां आवे छे. श्री
गुरुओ कहे छे के अरे मुमुक्षु जीवो! तमारुं हित करवा
माटे, आनंदनो अनुभव करवा. माटे, धीमेधीमे नहि
पण हमणां ज आत्मानो उत्कृष्ट प्रेम करो.... अंतरमां
आत्मानी धून जगाडीने आजे ज एने अनुभवमां
ल्यो...आमां विलंब न करो. ‘अत्यारे बीजुं, ने आत्मा
पछी’–एम विलंब न करो. बधायनो प्रेम छोडीने
आत्मानो प्रेम आजे ज करो. आत्माना हितना कार्यने
गौण न करो. अत्यारे ज हितनो अवसर छे, हितने
माटे अत्यारे ज उत्तम चोघडीयुं छे. तारा हित माटे
संतोना तने ‘आशीर्वाद’ छे.