वात छे; तेमां विकार न आवे. त्यां ४२ मी शक्तिमां जे कर्तृत्वशक्तिनुं वर्णन कर्युं छे ते
कर्तृत्वशक्ति तो बधा जीवोमां छे, सिद्धमांय ते कर्तृत्व छे. ते कर्तृत्वमां रागादि न आवे.
अने प्रवचनसारमां कर्तृनयथी जे कर्तापणानुं वर्णन कर्युं छे तेमां तो रागना कर्तापणानी
वात छे, ते त्रिकाळी स्वभावरूप धर्म नथी पण एक क्षणपूरती पर्यायनो धर्म छे; ते
पर्याय आत्मानी छे, तेथी तेने आत्मानो धर्म कहेवाय छे.
पोतानी पर्यायमां धारी राखे छे त्या सुधी ते आत्मानो पोतानो धर्म छे ने तेनो कर्ता
आत्मा छे. पोतानी पर्यायमां थाय छे माटे तेने पोतानो धर्म कह्यो छे, ते त्रिकाळ नथी
पण क्षणिक पर्यायपूरतो छे. कर्तृनयथी आ रागना कर्तापणाने जाणनार जीव ते ज
वखते तेना अकर्तापणे पण परिणे छे. केमके रागना कर्तापणा वखते ज बीजा अनंत
धर्मोमां जे शुद्ध चैतन्यपरिणमन छे तेमां रागनुं कर्तृत्व नथी. – आम (कतृत्व तेम ज
अकर्तुत्व) बंने धर्मो साधकने एक साथे छे.
(अनंत धर्मवाळुं) छे तेना बधा पडखांने जाणतां ज्ञाननुं वलण शुद्ध स्वभाव तरफ
ज वळे छे एटले पर्यायमांथी रागनुं कर्तृत्व टळे छे ने शुद्धतानुं कर्तृत्व प्रगटे छे.
रागनो कर्ता ते व्यवहार छे ने रागनो अकर्ता (साक्षी) ते निश्चय छे. धर्मी बंनेने
जेम छे तेम जाणे छे.