Atmadharma magazine - Ank 359
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: र : आत्मधर्म : भाद्रपद र४९९ :
वातावरण आनंदविभोर थई गयुं हतुं. पूज्य गुरुदेवना आजना मंगल प्रवचन पहेलांं
ब्रह्मचारी बहेनोए–
“सखि! दीठुं कौतुक आज माता ‘तेज’ घरे,
एक आव्या विदेही महेमान नीरखी नेन ठरे.”
–गीत द्वारा तेमना अनन्यशरण एकमात्र परमाधार पूज्य बहेनश्री प्रत्ये
श्रद्धा–भक्ति अभिव्यक्त करीने आजना मंगल महोत्सवनुं मंगलाचरण कर्युं हतुं.
पूज्य बहेनश्री पूज्य गुरुदेवना प्रवचनमां पधार्या ते शुभ प्रसंगे श्री चंपकलाल
मोहनलाल डगली–बरवाळावाळा–नां धर्मपत्नी श्री प्रभाबेने पूज्य बहेनश्रीना विशाळ
ललाटमां केसरनुं तिलक करी, भक्तिपूर्वक सविनय मीठडां लीधां हतां. अने हीराथी
वधावी, पूज्य गुरुदेवना मंगल सान्निध्यमां विशाळ मुमुक्षुसभानी उपस्थितिमां पूज्य
बहेनश्रीनुं बहुमान कर्युं हतुं. आ धन्य प्रसंग अभूतपूर्व हतो. आ मनोहारी भक्तिपूर्ण
हृदयद्रावक द्रश्य जोई अनेक मुमुक्षुओनां नयनो आनंदाश्रुथी भराई आव्यां हतां,
मंगल गीतो तथा जयकारना ऊंचा मधुरा नादोथी मुमुक्षुसमाजे गगन भरी दीधुं हतुं,
बधांनां हैयां हेले चड्यां हतां. सर्वत्र आनंद अने प्रसन्नता द्रष्टिगोचर थतां हतां.
‘वर्तमान पर्यायने जाणतां ज्ञानीने त्रिकाळ पर्यायनुं ज्ञान तेमां साथे आवी जाय छे’ ते
गहन विषयने व्यक्त करतां पूज्य गुरुदेवे पण प्रवचनमां बहेनश्रीना आजना
जन्मोत्सवने बे–त्रण वार उर्मिभर्या भावे याद कर्यो हतो.
प्रवचन पछी श्रद्धांजलि–समर्पण–समारोहमां श्री खीमचंदभाई शेठ, श्री
चंपकलाल मोहनलाल डगली तथा श्री धन्नालालजी–ग्वालियरवाळाए श्रद्धा–भक्तिपूर्ण
भावभीनी अंजलि समर्पित करी हती. त्यार पछी जन्मजयंतीनी खुशालीमां ‘६०’
आंकना एकमथी रूा. र४००० उपरांतनी रकमो श्री महावीर–कुंदकुंद दिगंबर जैन
परमागममंदिर खाते जाहेर थई हती.
जन्मजयंतीना मांगलिक दिने पूज्य बहेनश्री–बहेनना घरे कृपासागर पूज्य
गुरुदेवना आहारादाननो मंगल प्रसंग तथा ते प्रसंगे पूज्य बहेनश्री बहेननी विशिष्ट
गुरुभक्ति उपस्थित जनोने प्रमुदित करती हती. त्यार पछी आश्रमना स्वाध्याय–
भवनमां समस्त मुमुक्षु भाई–बहेनो पूज्य बहेनश्रीना दर्शन करवा आव्यां