ब्रह्मचारी बहेनोए–
ललाटमां केसरनुं तिलक करी, भक्तिपूर्वक सविनय मीठडां लीधां हतां. अने हीराथी
वधावी, पूज्य गुरुदेवना मंगल सान्निध्यमां विशाळ मुमुक्षुसभानी उपस्थितिमां पूज्य
बहेनश्रीनुं बहुमान कर्युं हतुं. आ धन्य प्रसंग अभूतपूर्व हतो. आ मनोहारी भक्तिपूर्ण
हृदयद्रावक द्रश्य जोई अनेक मुमुक्षुओनां नयनो आनंदाश्रुथी भराई आव्यां हतां,
मंगल गीतो तथा जयकारना ऊंचा मधुरा नादोथी मुमुक्षुसमाजे गगन भरी दीधुं हतुं,
बधांनां हैयां हेले चड्यां हतां. सर्वत्र आनंद अने प्रसन्नता द्रष्टिगोचर थतां हतां.
‘वर्तमान पर्यायने जाणतां ज्ञानीने त्रिकाळ पर्यायनुं ज्ञान तेमां साथे आवी जाय छे’ ते
गहन विषयने व्यक्त करतां पूज्य गुरुदेवे पण प्रवचनमां बहेनश्रीना आजना
जन्मोत्सवने बे–त्रण वार उर्मिभर्या भावे याद कर्यो हतो.
भावभीनी अंजलि समर्पित करी हती. त्यार पछी जन्मजयंतीनी खुशालीमां ‘६०’
आंकना एकमथी रूा. र४००० उपरांतनी रकमो श्री महावीर–कुंदकुंद दिगंबर जैन
परमागममंदिर खाते जाहेर थई हती.
गुरुभक्ति उपस्थित जनोने प्रमुदित करती हती. त्यार पछी आश्रमना स्वाध्याय–
भवनमां समस्त मुमुक्षु भाई–बहेनो पूज्य बहेनश्रीना दर्शन करवा आव्यां