Atmadharma magazine - Ank 359
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: भाद्रपद र४९९ : आत्मधर्म : ३ :
हतां. आ प्रसंगे पण भक्तिगीतो तथा जयनादोना गुंजारवथी वातावरणने
प्रसन्नतायुक्त करतो हतो. अनन्य धर्ममाता प्रत्ये सर्वस्वार्पणभावे हावभावथी श्रद्धा–
भक्ति द्वारा ब्रह्मचारी बहेनोनो आनंद उत्सवनी सुंदरतामां सुगंध पूरतो हतो.
आ शुभोत्सवनी खुशालीमां श्रावण वद बीजे–पू. बहेनश्रीना मंगल जन्मदिने
राजकोट निवासी श्री मरघाबेन धीरजलाल शाहना सुपुत्रो तरफथी ‘साधर्मीवात्सल्य’
हतुं. तदुपरान्त पू. गुरुदेवनां बंने प्रवचन पछी, पूज्य बहेनश्रीने आश्रमना
स्वाध्यायभवनमां मुमुक्षुसमाज द्वारा अभिनंदन–समर्पण प्रसंगे तथा रात्रे पूज्य
बहेनश्री–बहेनना वांचन पछी, एम दरेक प्रसंगे जुदी–जुदी व्यक्तिओ तरफथी
प्रभावना थई हती.
बपोरना प्रवचन पछी आरतीनी उछामणीमां श्री सीमंधरभगवाननी प्रथम
आरतीनी उछामणी प्रसंगे श्री व्रजलाल भाईलाल डेलीवाला–सूरत–नां धर्मपत्नी श्री
सविताबहेने सुवर्णपुरीना ईतिहासमां अभूतपूर्व अनेरा उत्साहथी भाग लीधो हतो.
पूज्य बहेनश्रीनी मंगल जन्मजयन्ती प्रसंगे लहावो लेवो तेमने माटे धन्य प्रसंग हतो.
जन्मजयंतीना आ मंगळ दिवसे सांजे मेघराजे, एक महिनानी चिर प्रतीक्षा
बाद, धोधमार वर्षा द्वारा, समस्त जनताने आनंदित करी उत्सवनी शोभामां
अभिवृद्धि करी हती.
रात्रे महिलामुमुक्षुसमाजमां पूज्य बहेनश्रीनुं अध्यात्मरसझरतुं वांचन थयुं हतुं.
अंतत: ब्रह्मचारी बहेनो वगेरे द्वारा गवायेलां प्रसंगोचित् मांगलिक भक्तिगीतो
ईत्यादिपूर्वक महोत्सव पूर्णताने पाम्यो हतो.
आ रीते आत्मार्थीजनोने आनंदकारी एवो आ मंगलमय उत्सव सुवर्णपुरीमां
जयजयकारपूर्वक उजवाई गयो.