मंगल तव चरणोंसे मंडित अवनी आज सुमंगल है... मंगलकारी
मंगल मातपिता, कुल मंगल, मंगल धाम रु आंगन है;
मंगल जन्ममहोत्सवका यह अवसर अनुपम मंगल है... मंगलकारी
शिशुवयका वैराग्य सुमंगल, आतम–मंथन मंगल है;
आतमलक्ष लगाकर पाया अनुभव श्रेष्ठ सुमंगल है... मंगलकारी
समवसरणमें कुंदप्रभुका दर्शन मनहर मंगल है;
सीमंधर–गणधर–जिनधुनिका स्मरण मधुरतम मंगल है... मंगलकारी
आसन–गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है,
प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल, ध्यानदशा अति मंगल है... मंगलकारी
मंगलमूरति–मंगलपदमें मंगल–अर्थ सुवंदन है;
आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहद्रष्टि रहे,
तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें... मंगलकारी